• 'इंसाफ पाना हुआ महंगा'

    उच्चतम न्यायालय ने 48 साल बाद नियमों में बदलाव करके गर्मियों की छुट्टियों में कटौती करने का फैसला किया है। इतना ही नहीं नए फैसलों के लागू होने के बाद इंसाफ पाना महंगा हो जाएगा। मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा के फैसले के मुताबिक नए नियमों को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई है। शीर्ष अदालत ने मुकदमों की अपने यहां सुनवाई की फीस में एकमुश्त 10 गुना तक बढोतरी कर दी है।...

    सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई की फीस में की दस गुना बढ़ोत्तरीनई दिल्ली !   उच्चतम न्यायालय ने 48 साल बाद नियमों में बदलाव करके गर्मियों की छुट्टियों में कटौती करने का फैसला किया है। इतना ही नहीं नए फैसलों के लागू होने के बाद इंसाफ पाना महंगा हो जाएगा। मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढा के फैसले के मुताबिक नए नियमों को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई है।  शीर्ष अदालत ने मुकदमों की अपने यहां सुनवाई की फीस में एकमुश्त 10 गुना तक बढोतरी कर दी है।इसके बाद कहा जा सकता है, देश में इंसाफ पाना अब और महंगा हो गया है। संशोधित दरों के अनुसार, अब रिट याचिका दायर करने के लिए किसी भी याचिकाकर्ता को मौजूदा 50 रुपए के स्थान पर कोर्ट फीस के रूप में 500 रुपए देने होंगे। आपराधिक रिट याचिका पर शपथपत्र के साथ दो रुपए की फीस लगाई जाती है, जिसे अब बढाकर 20 रुपए कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त अब चुनाव संबंधी याचिकाओं पर भी धरोहर राशि के रूप में मौजूदा 20 हजार रुपए के स्थान पर 50 हजार रुपए की राशि जमा करानी होगी।  फीस में बढ़ोतरी के अलावा न्यायालय ने अपने नियमों में भी बदलाव करते हुए तय किया है कि मौत की सजा के खिलाफ दायर की जाने वाली अपील पर सुनवाई शीर्ष अदालत में कम से कम तीन जजों की बेंच करेगी। लंबित मुकदमों के बढ़ते बोझ के मद्देनजर उच्च न्यायपालिका की छुट्टियों में 10 से 15 दिनों की कटौती की मांग लंबे समय से उठती रही थी। वर्ष 2009 में विधि आयोग ने भी इसकी सिफारिश की थी। सर्वोच्च न्यायालय के नियम 2013 के नाम से तैयार नए फैसले के अनुसार अब गर्मियों की छुट्टियां 10 हफ्ते के बजाय सात हफ्तों की ही होगी। मैं चाहता हूं कि अदालतें भी अस्पतालों और पुलिस थानों की तरह पूरे साल काम करें। आरएम लोढा, मुख्य न्यायाधीश मौत की सजा के खिलाफ फैसले की सुनवाई करेगी तीन जजों की बेंच  सुप्रीम कोर्ट में गर्मियों की छुट्टियां हुई कम, अब सात सप्ताह का अवकाश

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