हाईकोर्ट के आदेश से ग्रेनो वेस्ट में बढ़ी टेंशन इलाहाबाद/गे्रटरनोएडा ! 23 जुलाई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नोएडा के पतवारी गांव की भूमि अधिग्रहण रद्द हो जाने के बाद किसानों को भूमि वापस न करने पर नोएडा विकास प्राधिकरण और गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी को नोटिस जारी की है। न्यायालय ने इन दोनों अधिकारियों से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। न्यायालय ने दोनों अधिकारियों को उच्च न्यायालय द्वारा 19 जुलाई 2011 को पारित आदेश के अनुपालन का एक और मौका दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज नकवी ने पतवारी गांव के ब्रहमपाल और अन्य की अवमानना अर्जी पर दिया है। आदेश में न्यायालय ने कहा है कि यदि इस आदेश का अनुपालन नहीं होगा तब इन अधिकारियों के विरुद्ध आरोप तय किए जाएंगे। न्यायालय ने पतवारी गांव का अधिग्रहण 19 जुलाई 2011 को रद्द कर दिया था और सर्वोच्च न्यायालय ने भी राज्य सरकार को राहत नहीं दी थी। साथ ही जिलाधिकारी व एडीएम को निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित करें कि किसानों की जमीन वापस हो गई है। साथ ही बिल्डरों को निवेशकों का पैसा वापस करने का भी निर्देश दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से तीस हजार निवेशकों के मकान का सपना फिर अधर में लटक गया है। साथ ही 18 बिल्डरों के प्रोजेक्ट संकट में पड़ गए हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के ढाई हजार व्यक्तिगत आबंटी भी इस फैसले से प्रभावित हुए हैं। जबकि देखा जाए तो कोर्ट ने पतवाड़ी गांव की जो जमीन किसानों को वापस लौटने का आदेश दिया है, उस जमीन पर आज बहुमंजिला इमारते खड़ी हो चुकी हैं। इमारतों को तोड़कर जमीन की यथा स्थिति बरकरार रखने में बिल्डरों व प्राधिकरण दोनों के लिए बहुत ही दुरूह काम होगा। पतवाड़ी को लेकर उहापोह की स्थिति ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गांव पतवाड़ी की जमीन को लेकर हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद अब प्राधिकरण, बिल्डरों व निवशकों के सामने उहापोह की स्थिति खड़ी हो गई है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 2009 में पतवाड़ी गांव की 589 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया था। प्राधिकरण ने 2010 में 18 बिल्डरों को जमीन आबंटित कर दिया था साथ प्राधिकरण ने सेक्टर-दो में ढाई हजार आबंटियों को भूखंड आबंटित किया था। कोर्ट के आदेश की कापी मिलने के बाद प्राधिकरण इस मसले पर कोई कदम उठाएगा। प्राधिकरण इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाएगा : रमा रमण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन व मुख्य कार्यपालक अधिकारी