• समस्या से घिरी सरकार न्यायाधीशों की तरफ देखती है

    अपने नियंत्रण वाले न्यायाधिकरणों में बिना कानूनी पृष्ठभूमि वाले विशेषज्ञों को न्यायाधीश का विकल्प बनाने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए...

    नई दिल्ली !  अपने नियंत्रण वाले न्यायाधिकरणों में बिना कानूनी पृष्ठभूमि वाले विशेषज्ञों को न्यायाधीश का विकल्प बनाने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब भी ज्वलंत मुद्दे पर यह (सरकार) समस्या से घिर जाती है तब वह समाधान के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाती है। प्रधान न्यायाधीश आर. एम. लोढ़ा की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की संविधान पीठ ने कहा, "न्यायाधीश विशेषज्ञ नहीं हो सकते, लेकिन जब भी समस्या उठ खड़ी होती है वे (सरकार) या तो आयोग (गठित कर) या सीधे अदालत आकर मुद्दे का समाधान चाहते हैं।" पीठ के अन्य न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति जे. चेलामेस्वर, न्यायमूर्ति ए. के. सीकररी और न्यायमूर्ति रोहिंटन फाली नारिमन थे।अदालत ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय कर न्यायाधिकरण अधिनियम एवं संविधान के अनुच्छेद 323-ए और अनुच्छेद 323-बी की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए दी।

अपनी राय दें