• 'बदली नहीं है भारत की विदेश नीति

    भारत ने संसद को आज पूरी तरह आश्वस्त किया कि फिलीस्तीन मुद्दे पर नई सरकार के रूख में, रत्तीभर और तिलभर भी बदलाव नहीं आया है,...

    नई दिल्ली !   भारत ने संसद को आज पूरी तरह आश्वस्त किया कि फिलीस्तीन मुद्दे पर नई सरकार के रूख में, रत्तीभर और तिलभर भी बदलाव नहीं आया है, लेकिन इजरायली हमलों के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित नहीं करने पर विपक्ष अपनी नाराजगी जताते हुए सदन से उठकर चला गया।  वाकआउट की इस राजनीतिक कवायद में विपक्षी खेमे की दरार भी खुलकर सामने आ गई क्योंकि अन्ना द्रमुक और बीजू जनता दल के सदस्यों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। अलबत्ता कई मुद्दों पर सरकार का साथ देती आ रही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने फलस्तीन मसले पर कांग्रेस के नेतृत्व में हुए वाकआउट में साथ दिया। राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, फिलस्तीनियों को समर्थन देते हुए इजराजय के साथ संबंध बनाने और बढ़ाने की पिछली पांच सरकारों की नीति में अब भी रत्तीभर और तिलभर परिवर्तन नहीं हुआ है। श्रीमती स्वराज ने कहा, उन्होंने कहा, मिस्र कह रहा है कि संघर्ष विराम का प्रस्ताव अब कायम है। इस सदन से यह आवाज उठनी चाहिए थी कि उस प्रस्ताव पर चलते हुए सभी को शांतिवार्ता के लिए तैयार हो जाना चाहिए। सभी अरब देश भी शांतिवार्ता की हिमायत कर रहे हैं।  उन्होंने कहा कि सदन की आवाज हिंसा के विरूद्ध हो और दोनों देशों से कहें कि हिंसा से समाधान नहीं निकल सकता। भारत की संसद. सरकार और मुल्क का संदेश एक है। मजहबी नहीं है हमारी नीति : सुषमानई दिल्ली। फिलीस्तीनियों के मुद्दे पर चर्चा का जवाब देते हुए श्रीमती स्वराज ने कहा, हमारी सरकार मजहब के आधार पर अपनी नीति तय नहीं करती। उन्होंने याद दिलाया कि सऊदी अरब की जेलों में बहुत मामूली अपराध में सजा पाए भारत के 40 युवक बंद थे और वे सभी मुसलमान थे। इराक में बंधक बनाई गई नर्सों में ज्यादातर ईसाई थीं। सरकार ने दो दिन के भीतर उन्हें रिहा करा लिया। इराक में अब भी हमारे 40 बच्चे बंधक हैं और इनमें से अधिकतर सिख हैं। ऐसे में कोई हमारी सरकार के बारे में यह कैसे कह सकता कि हम मजहब के आधार पर अपनी नीति चलाते हैं।

अपनी राय दें