• बहुचर्चित योजना बनी बीमारी

    रतनजोत के पौधे मानव स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हैं, इस पर हुए अध्ययन के निष्कर्षों पर विवाद हो सकता है पर अज्ञानता के कारण इसका बीज खाकर बच्चों के बीमार होने की बढ़ती घटनाएं चिंता में डालने वाली है। पिछले जुलाई से दिसम्बर के बीच जांजगीर-चांपा जिले में रतनजोत बीज खाकर स्कूली बच्चों के बीमार होने की तीसरी घटना सामने आई है। ...

    रतनजोत के पौधे मानव स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हैं, इस पर हुए अध्ययन के निष्कर्षों पर विवाद हो सकता है पर अज्ञानता के कारण इसका बीज खाकर बच्चों के बीमार होने की बढ़ती घटनाएं चिंता में डालने वाली है। पिछले जुलाई से दिसम्बर के बीच जांजगीर-चांपा जिले में रतनजोत बीज खाकर स्कूली बच्चों के बीमार होने की तीसरी घटना सामने आई है। पामगढ़ के एक स्कूल के 22 बच्चों के बीमार होने से पहलेे बलौदा और नवागढ़ में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी। बच्चे खाने योग्य समझकर पौधों पर लगे फल खा लेते हैं और बीमार पड़ जाते हैं। चिकित्सकों के अनुसार रतनजोत के बीज में कार्बनिक रसायन की मात्रा बहुत अधिक होती है जो मानव के पाचन तंत्र को प्रभावित करती है। रतनजोत बीज खाने के बाद उल्टी-दस्त की शिकायत शुरु हो जाती है और तुरंत उपचार न मिले तो निर्जलीकरण से जान भी जा सकती है। एक तरह से रतनजोत के बीच जानलेवा साबित हो सकते हैं, पर बच्चों को इससे दूर रखने की कोई कोशिश नहीं हो रही है। बच्चों के बीमार होने की कुछ महीने के भीतर तीसरी घटना का सामने आना इस मामले में बरती जा लापरवाही का ही दुष्परिणाम है। क्या रतनजोत के पौधे और उसके बीज की पहचान बच्चों को नहीं कराई जा सकती? जिन गांवों में स्कूलों के आसपास रतनजोत के पौधे लगे हों, वहां के शिक्षक बच्चों को बता सकते हैं कि इसके फल या बीज खाने योग्य नहीं होते। रतनजोत के बीज से तेल निकालकर डीजल के विकल्प के रुप उसके उपयोग की संभावना को देखते हुए छत्तीसगढ़ में पौधे रोपने का अभियान चलाया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने राज्य सरकार के इस अभियान की प्रशंसा की थी। 10 साल के करीब होने को है, लेकिन 'बाड़ी से डीजलÓ के उस समय के नारे का कहीं अता-पता नहीं है। उस समय काम के बदले अनाज योजना के तहत रतनजोत रोपने का काम प्राथमिकता से कराया गया था। गड़बड़ी की शिकायतें भी आई और दस साल बाद हालत यह है कि इसकी चर्चा तक कोई करना नहीं चाहता। इसकी चर्चा बीज खाकर बच्चों के बीमार होने पर जरुर होती आ रही है। रतनजोत यानी जैट्रोफा के बारे में कहा जाता है कि यह मध्य अमेरिका से दुनिया के दूसरे देशों में पहुंचा। इस पौधे में पाए जाने वाले दुधिया तरल का कुछ औषधीय उपयोग भी बताया जाता है पर इसके बीच के तेल का डीजल के विकल्प के तौर पर उपयोग में लाए जाने की कहीं कोई मिसाल नहीं मिलती। इसकी संभावना पर राज्य में शुरु किए गए अभियान की सफलता अब संदिग्ध दिखाई देेने लगी है। ऐसे में इस रतनजोत के पौधों के खतरे से निपटने के लिए क्या किया जाना चाहिए, एक नया सवाल पैदा हो गया है।

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