• कार्यकर्ताओं के सहारे मोदी ने किया शक्ति प्रदर्शन

    बनारस में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने अपनी राजनीतिक ताकत का भव्य प्रदर्शन करते हुए नामांकन दाखिल किया। ...

    मोदी के नामांकन से पहले वाराणसी की सड़कों पर दिखी भारी भीड़वाराणसी !   बनारस में गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी ने अपनी राजनीतिक ताकत का भव्य प्रदर्शन करते हुए नामांकन दाखिल किया। स्कूल व कॉलेज बंद थे। बाजार भी बंद था क्योंकि, मोदी आ रहे थे। ऐसे में मोदी का ऐतिहासिक स्वागत हुआ। इस मौके पर मोदी ने कहा कि मैं काशी को प्रणाम करता हूं। मेरे मन में पहले यह विचार आया कि भाजपा ने मुझे यहां भेजा।फिर मैंने सोचा कि मैं काशी जा रहा हूं। पर अब मैं कहता हूं कि न मुझे भेजा गया और न ही मैं यहां आया, बल्कि मां गंगा ने मुझे यहां बुलाया है। पर इस मौके पर भाजपा के दिग्गज नेता नदारत थे। अडवानी, राजनाथ, कल्याण सिंह, कलराज मिश्र, वाराणसी के सांसद मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार और उमा भारती तक नामांकन में मौजूद नहीं थे। यह भाजपा के किसी आम सांसद का नामांकन नहीं था बल्कि देश के भावी प्रधानमंत्री का नामांकन था। इसलिए उत्तर प्रदेश के दिग्गज नेताओं की कमी पार्टी कार्यकर्ताओं को खल रही थी। बुधवार को  केजरीवाल के साथ जहां भारी भीड़ थी वहीं गुरुवार को मोदी के साथ जनसैलाब था। वाराणसी भाजपा का गढ़ भी है और सबसे प्रचीन धार्मिक नगरी भी। भाजपा से धर्म का नाता भी जग जाहिर है, इसलिए भीड़ तो होनी ही थी। मोदी का जुलूस नदेसर से कचहरी इलाके तक चला। मलदहिया से कलेक्टर के दफ्तर तक करीब ढाई किलोमीटर की दूरी पूरा करने में ज्यादा वक्त लगा। गुलाब फेंके जा रहे थे तो जन सैलाब बढ़ रहा था। काशी अपने रंग में दिखा तो मोदी भी अभिभूत हुए और बोले बालक जैसी अनुभूति हो रही है। हालांकि इस दौरान ऐसी कोई लहर सुनामी में बदलती नहीं दिखी जिसका दावा अमित शाह ने किया। भाजपा ने अपने करीब एक लाख कार्यकर्ता सड़क पर उतार दिए थे, इसलिए नामांकन जुलूस भव्य नजर आ रहा था और रास्ते के दोनों ओर घर ,बरामदे और छज्जे पर लोगों की भीड़ भी पार्टी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ा रही थी। भीड़ के मामले में दावा कुछ ज्यादा था। कचहरी के पास खड़े दशरथ ने कहा कि बहनजी की रैली खत्म होने के दो तीन घंटे बाद जितनी भीड़ सड़क पर होती है उससे भी यह कम है और सब सुनामी बता रहे हैं। इस बात में दम था। करीब एक दशक से मायावती की रैली कवर करता रहा हूं और रैली खत्म होने के दो से तीन घंटे बाद भी लखनऊ की चौड़ी सड़कों पर लाख से ज्यादा लोग नजर आते रहे हैं। इसलिए भीड़ ज्यादा बड़ा मुद्दा नहीं था पर भाजपा के नौजवान कार्यकर्ताओं का उत्साह काफी बढ़ा हुआ था। भारी भीड़ के कारण मोदी का जुलूस काफी धीमी रफ्तार से कचहरी तक चला। भगवा झंडा और हर-हर मोदी के नारे के बीच मोदी के वाहन को आगे बढ़ाने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।  नरेंद्र मोदी ने मिंट हाउस चौराहे पर स्वामी विवेकानंद की मूर्ति पर फूल अर्पित किया।        वहां मोदी के साथ अमित शाह, मुख्तार अब्बास नकवी, रविशंकर प्रसाद और लक्ष्मीकांत वाजपयी मौजूद थे। उन्होंने बीएचयू के सिंह द्वार के पास मालवीय प्रतिमा पर पुष्प चढ़ाए और हाथ जोड़ा। बाद में मिंट हाउस पर विवेकानंद की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद कार्यकर्ताओं का आभार जताया। फिर अंबेडकर की बारी आई। अंबेडकर चौराहे पर डा. भीमराव अंबेडकर की मूर्ति पर माल्यार्पण के बाद उन्होंने नामांकन दाखिल किया। मोदी के इस नामांकन के चलते बनारस बंद था। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने सवाल भी उठाया कि क्या कोई राजा बाहर से आ रहा है जिसकी वजह से वाराणसी के सभी संस्थान बंद कर दिए गए हैं। मोदी के नारों और झंडों के बीच विरोध के स्वर भी उभर रहे थे। एक बैनर पर लिखा थाकि बोल रही है गंगा माई ,बचने न पाए दंगाई। तो कुछ देर बाद ही मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा का समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने दूध और गंगाजल से शुद्धिकरण किया क्योंकि मोदी ने उसे स्पर्श किया था। इन समाजवादियों को रोकने के लिए कोई सामने भी नहीं आया। जबकि बुधवार को भगवा ब्रिगेड ने आप के नेता सोमनाथ भारती की पिटाई की थी। इससे बनारस में राजनैतिक दलों के शक्ति प्रदर्शन को आसानी से समझा जा सकता है। पर गुरुवार के नामांकन के साथ ही पार्टी की तरफ से पूर्वांचल की राजनैतिक जिम्मेदारी और जवाबदेही भी मोदी के कंधों पर आ गई है। बनारस से बलिया तक मोदी को खुद बड़ी जीत के साथ पूर्वांचल में पार्टी को बड़ी जीत दिलानी है। यह कम बड़ी चुनौती भी नहीं है क्योंकि इसी तर्क के आधार पर मोदी ने मुरली मनोहर जोशी को ठिकाने लगा कर वाराणसी को छीना था। आज भले वे कहें कि  गंगा माई ने बुलाया है पर सच यही है कि वे उत्तर प्रदेश कि सबसे सुरक्षित सीट से चुनाव लडऩा चाहते थे और आज उन्होंने परचा दाखिल कर दिया है । इसके साथ ही पूर्वांचल में पार्टी का राजनैतिक बोझ भी उन पर आ गया है।                 

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