• बनारस में आसान नहीं मोदी की राह

    काशी के लहराबीर से आज देश को नया राजनैतिक संदेश गया है। अब तक भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी के लिए आसान समझी जा रही यह सीट अब कांटे के मुकाबले में तब्दील होती दिख रही है। ...

    केजरीवाल के शक्ति प्रदर्शन से काशी में गरमाई सियासतवाराणसी !   काशी के लहराबीर से आज देश को नया राजनैतिक संदेश गया है। अब तक भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी के लिए आसान समझी जा रही यह सीट अब कांटे के मुकाबले में तब्दील होती दिख रही है। आज दोपहर की तपतपाती गर्मी में लहराबीर से कचहरी तक उमड़ा जन सैलाब मोदी के लिए चुनौती भी है और चेतावनी भी। कड़ी धूप में अरविंद केजरीवाल सड़क पर थे और लोगों को बता रहे थे कि कल वह (नरेंद्र मोदी) आसमान से आएंगे और आसमान से ही काशी को देखेगा। मोदी का कार्यक्रम भी कई जगह हेलीकॉप्टर से जाने का बनाया गया है।यह उस आरोप की पुष्टि भी करता है जिसमे भाजपा पर इस चुनाव में पांच हजार रुपए खर्च करने की बात कही गई है। इस तरह के चुनाव में पांच सौ रुपए लेकर सड़क से कचहरी तक परचा दाखिल करने गए केजरीवाल ने एक चुनौती तो पेश कर ही दी है। इसे बहुत हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। लहुराबीर से अंधरापुल पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे का समय लग गया। कचहरी में विरोध हुआ जो स्वभाविक था। भाजपा हर स्तर पर विरोध की तैयारी में हैं पर आज के जन सैलाब के बाद विरोध के सुर भी कमजोर हुए हैं।  केजरीवाल ने फिर वही तरीका अपनाया है जिसके सहारे शीला दीक्षित को हराया था यानी पैसा और भ्रष्टाचार। एक तरफ पैसे की लूट दूसरी तरफ गरीबी और महंगाई से परेशान जनता। भाजपा जिस अंदाज में इस चुनाव में पैसा खर्च कर रही है वह किसी भी दल ने ढंग से मुद्दा नहीं बनाया है। भाजपा शुद्ध रूप से हिंदुत्व के नाम पर चुनाव लड़ रही है और आगे का एजेंडा भी वही होगा। पूर्वांचल में योगी ने जिस हिंदुत्व की नर्सरी तैयार की है वह कभी भी किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकती है। रही सही कसर तोगडिय़ा ने पूरी कर इस विकास की अवधारणा को ढंग से बता दिया है। पर इस चुनौती का जवाब कांग्रेस, सपा और बसपा को जिस गंभीरता से देनी चाहिए थी वह नहीं दी गई। सभी ने अपने अपने उम्मीदवार उतार दिए। बनारस में लोगों का आरोप है कि कांग्रेस ने जिन अजय राय को उतारा है वे पिछली बार भाजपा के मुरली मनोहर जोशी के मददगार बने थे। तब भी हिन्दू बनाम मुसलमान हुआ था। इसलिए परम्परागत राजनैतिक दलों के मुकाबले अरविंद केजरीवाल भारी पड़ सकते हैं। दिल्ली में शीला हारी थी अब मोदी की बारी है जैसा नारा चल रहा है। हालांकि अभी तक यह सभी मान रहे थे कि मोदी भारी बहुमत से चुनाव जीतेंगे। आज से मुकाबले की बात शुरू हुई है। यहां के एक कारोबारी केके अग्रवाल ने कहा, आज तो यह साफ ही हो गया कि मोदी को विरोध का भी सामना करना पड़ेगा। वैसे भी हिंदुत्व के नाम पर अगर सभी एकजुट नहीं हुए और जातीय समीकरण बिगड़ा तो मोदी के लिए चुनौती भी खड़ी हो सकती है। लोग सड़क पर उतरें है तो बूथ तक भी जाएंगे।

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