• मोदी की विध्वंसक छवि विकास पुरुष में तब्दील

    वड़ोदरा लोकसभा क्षेत्र में साढ़े सोलह लाख मतदाता हैं। ज्यादातर ऊंची जातियों के हैं। ये मतदाता आर्थिक रूप से मध्यवर्ग के हैं और शहरी आबादी का हिस्सा हैं। ...

    नीलांजन मुखोपाध्याय (नीलांजन मुखोपाध्याय देश के जाने-माने पत्रकार व लेखक हैं। उनकी पुस्तक 'नरेंद्र मोदी एक शख्सियत: एक दौर' काफी चर्चित रही है। मुखोपाध्याय चुनाव के विशेष कवरेज के लिए इन दिनों गुजरात में हैं  जहां से वे देशबन्धु के पाठकों के लिए अपनी रिपोर्ट लगातार भेजेंगे)धार्मिक पूर्वाग्रह को आक्रामक ढंग से बनाया राजनीति का आधारवड़ोदरा !  वड़ोदरा लोकसभा क्षेत्र में साढ़े सोलह लाख मतदाता हैं। ज्यादातर ऊंची जातियों के हैं। ये मतदाता आर्थिक रूप से मध्यवर्ग के हैं और शहरी आबादी का हिस्सा हैं। जब भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद  के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने गुजरात से चुनाव लडऩे का मन बनाया तो उनकी इच्छा थी कि किसी ऐसी सीट से लड़ा जाए जहां से जीतने में कोई खास झंझट न हो। प्रोफे सर जेएस बंदूकवाला का कहना है कि नरेंद्र मोदी के लिए वड़ोदरा सबसे सुरक्षित सीट है। प्रोफेसर बंदूकवाला मोदी के आलोचक हैं और 2002 में हिंसक भीड़ के उकसावे पर उनके घर में भी तोडफोड़ की गई थी। 1991 के बाद से भाजपा यहां से हर बार जीतती रही है बस केवल एक बार वड़ोदरा से 1996 में भाजपा उम्मीदवार की हार हुई थी। लोकसभा क्षेत्र की सभी सातों सीटों पर भाजपा का भारी प्रभाव बताया जाता है। बंदूकवाला के अलावा भी ऐसे बहुत लोग हैं जिनका मानना है कि यह सीट नरेंद्र मोदी के लिए बहुत ही सुरक्षित है। वड़ोदरा शहर कांग्रेस के प्रमुख नरेंद्र रावत का कहना है कि उनकी पार्टी के मुकामी नेताओं ने पिछले कई वर्षों से यहां के साधारण लोगों की परेशानियों के मुद्दों को उठाया ही नहीं। नरेंद्र रावत को कांग्रेस ने यहां से टिकट दिया था। राहुल गांधी की उस योजना के तहत जिसमें इलाके के लोग ही प्राइमरी के जरिए उम्मीदवारों का चयन करने वाले थे, वड़ोदरा सीट उसी श्रेणी में आ गई थी। नरेंद्र रावत को ही  प्राइमरी के जरिए टिकट मिला था लेकिन जब मोदी की उम्मीदवारी की घोषणा हुई तो पार्टी ने अपने महासचिव मधुसूदन मिस्त्री को उतार दिया। नरेंद्र रावत बताते हैं कि यहां भाजपा और मोदी के प्रति कोई खास चाहत नहीं है लेकिन कांग्रेस पार्टी भी इस इलाके के लोगों खासकर शहरी गरीबों की समस्यायों को उठाने में नाकाम रही है।  नरेंद्र मोदी पिछले 13 साल से गुजरात के मुख्यमंत्री हैं। मोटे तौर पर यह इसलिए संभव हो सका कि उन्होंने धार्मिक पूर्वाग्रह को बहुत ही आक्रामक तरीके से राजनीति का आधार बनाया। इस काम में जनसंपर्क के अच्छे से अच्छे साधनों का प्रयोग किया गया।  मोदी की छवि को भी नए रूप में पेश किया गया और उनकी विध्वंसक की छवि को विकास पुरुष की छवि में बदल दिया गया। अजीब बात है कि गुजरात की राजनीति में मोदी के प्रभाव को मजबूत बनाने में कांग्रेस का भी अहम योगदान है। मोदी के बारे में अपनी किताब लिखने के शोध के दौरान मैं ऐसे कई  सीनियर कांग्रेसियों से मिला था जिन्होंने मुझे बताया था कि राज्य में कोई साम्प्रदायिक मतभेद या तनाव नहीं है। सबको मालूम है कि पिछले बारह साल से राज्य स्तर के कांग्रेस नेता मोदी से मिले हुए रहते हैं और मोदी का जो भी विरोध होता है वह केवल दिखावे का विरोध होता है।  इस सारी सच्चाई के बावजूद यह कहा जा  सकता है कि अगर कांग्रेस वालों ने एक प्रभावशाली अभियान चलाया होता तो मोदी के लिए बहुत मुश्किल पेश आ सकती थी। बंदूकवाला बताते हैं कि वड़ोदरा आरएसएस व भाजपा का गढ़ है। इसका कारण यह है कि यहां ऊंची जातियों के लोग बहुत ज्यादा हैं और आर्थिक रूप से मध्यवर्ग का प्रभाव है। यह दोनों ही वर्ग भाजपा की तरफ  आकर्षित होते हैं। इस शहर में ऐसे बहुत सारे परिवार हैं जिनके सदस्य दशकों पहले अमरीका चले गए थे और वहां न्यू जरसी, ह्यूस्टन और शिकागो जैसे शहरों में बसे हुए हैं। विदेश में बसे हुए यह लोग अपनी जन्मभूमि से संपर्क बनाए  हुए हैं और अमरीका में मोदी का जो प्रचार- प्रसार है उसको बहुत बड़ा समर्थन वहां बसे गुजरातियों से मिलता है। इस वग में बहुत बड़ी संख्या क्षत्रिय और पटेल जातियों की है। शुरुआती परेशानियों के बाद भी कांग्रेस उम्मीदवार मधुसूदन मिस्त्री ने चुनाव में ताक त झोंकी है। वे कहते हैं कि वे चुनाव मैदान में सम्मानजनक हार के लिए नहीं उतरे हैं।  वे जीतने के लिए आए हैं। यहां यह हो सकता है कि वे जीत से वंचित रह जाएं लेकिन उनकी इच्छा है कि चुनाव मजबूती से लड़ा जाए और वड़ोदरा वालों को यह चुनाव वर्षों तक याद रहे। उनके चुनाव प्रबंधक नरेंद्र रावत को आशा है कि यह चुनाव जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संघर्ष करने की प्रेरणा देगा। नरेंद्र रावत कहते हैं कि नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस मुक्त भारत का वादा किया हुआ है। हमारी कोशिश है कि हम जल्दी ही मोदी मुक्त गुजरात का अभियान चलाएं और 2017 के चुनावों में गुजरात से नरेंद्र मोदी को चलता कर दें। रावत के साथ बड़ी संख्या में नौजवान मौजूद रहते हैं। ऐसा लगता है कि रावत की बात गंभीर है और वे हवा में बात नहीं कर रहे हैं। नरेंद्र रावत पूरी तरह से मधुसूदन मिस्त्री के चुनाव अभियान के मैनेजर हैं लेकिन उनकी अपनी जिंदगी में तकलीफें कम नहीं हैं। वे इलाके के एक नौजवान नेता के रूप में जाने जाते  हैं लेकिन 2010 से अब तक तीन बार उनको कांग्रेसी टिकट मना किया जा चुका है। उन्होंने वड़ोदरा नगरमहापालिका के लिए 2010 में और राज्य विधान सभा के लिए 2012 में टिकट मांगा था लेकिन नहीं मिला। अब जब 2014 में लोकसभा का टिकट प्राइमरी के जरिए हाथ भी आया तो मोदी का मुकाबला करने के लिए मधुसूदन मिस्त्री को भेज दिया गया और उनका टिकट वापस हो गया। शुरू में तो ऐसा लग रहा था कि चुनाव एकतरफा होगा और जब तक विपक्षी तैयार होगा मोदी चुनाव जीत चुके होगें। हालांकि बहुत कुछ बदला नहीं है लेकिन चुनाव आयोग में मोदी के खिलाफ  जितनी शिकायतें पहुंच रही हैं उससे नरेंद्र मोदी की चिंता बढ़ेगी। केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि नरेंद्र मोदी ने अपने पहले के चुनावों में जशोदा बेन से अपनी शादी का उल्लेख क्यों नहीं किया। मधुसूदन मिस्त्री ने एक ऐसे  मामले में शिकायत की है जो बहुत गंभीर है। उन्होंने शिकायत की है कि नरेंद्र मोदी ने अपनी पत्नी के बैंक खातों की जानकारी छुपाई है। उनका इनकम टैक्स का पैन कार्ड नंबर नहीं दिया है और उनकी संपत्ति की जानकारी भी नहीं दी है। मिस्त्री ने अपनी पार्टी के लोगों क चौकन्ना कर दिया है कि मोदी के हलफ नामे पर नजर रखी जाए और यह देखा जाए कि उनके नए हलफ नामे में वडोदरा वाले से अलग कोई सूचना तो नहीं  है। चुनाव आयोग ने मिस्त्री की अर्जी पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है लेकिन उस पर सबकी नजर  है क्योंकि उस फैसले का अगले दौर के चुनावों पर असर पड़ेगा। मौका देख कर मिस्त्री ने मोदी पर जबरदस्त हल्ला बोल दिया है। उन्होंने इस लेखक को बताया था कि वे मोदी की शादी के मामले को मुद्दा बनाकर उन पर हमला नहीं करेंगे। लेकिन वडोदरा से क रीब 20 किलोमीटर दूर एक कसबे वाघोरिया में उन्होंने  इसी मुद्दे पर बात की। सोमवार की रात को हुई सभा में बहुत ही उत्साही श्रोताओं से उन्होंने सार्वजनिक रूप से सवाल किया कि अगर कोई आदमी किसी नौजवान महिला के फ ोन रिकॉर्ड की जांच करवाता है और उसके ऊपर जासूसी करता है तो उसके हाथों अपनी सुरक्षा का भरोसा किया जा सकता है क्या? मधुसूदन मिस्त्री नरेंद्र मोदी अमित शाह के महिला जासूसी कांड का हवाला दे रहे थे। वडोदरा के चुनाव में वैसे कोई खास उत्साह नजर नहीं आता लेकिन नरेंद्र मोदी के हलफनामे की दोबारा जांच की संभावना के बाद  थोड़ी चर्चा शुरू हो गई है। पर्चा दाखिल करने के बाद मोदी अभी वडोदरा नहीं आए हैं। मधुसूदन मिस्त्री नुक्कड़ सभाएं और रोड शो में व्यस्त हैं। कांग्रेस  के बड़े नेताओं ने अभी यहां प्रचार नहीं किया है और अभी तक ऐसे कोई संकेत भी नहीं हैं कि बड़े पैमाने पर प्रचार किया  जाएगा।

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