• चुनाव में वरदान साबित हुई इवीएम,हजारों टन कागज की हुई बचत

    देश में 2004 के लोकसभा चुनावों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन इवीएम के पूरी तरह इस्तेमाल शुरू होने से पहले दो आम चुनावों में मतपत्र में तैयार करने में साढे सोलह हजार टन कागज की खपत हुई थी। ...

    नई दिल्ली । देश में 2004 के लोकसभा चुनावों से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन इवीएम के पूरी तरह इस्तेमाल शुरू होने से पहले दो आम चुनावों में  मतपत्र में तैयार करने में साढे सोलह हजार टन कागज की खपत  हुई थी।  आधिकारिक जानकारी के अनुसार 1999 के आम चुनाव में 7700 टन और 1996में 8880 टन कागज मतपत्रों की छपाई में लगे थे।  वर्षा 2004के चुनावों में पहली बार सभी केंद्रों में कुल 10.75 लाख इवीएम से मतदान हुआ था।किसी निर्वाचन क्षेत्र से 64से ज्यादा प्रत्याशी होने की स्थिति में पारंपिक बैलट पेपर से ही मतदान कराया जा सकता है। एक इवीएम से अधिकतम 3880 वोट डाले जा सकते हैं। इवीएम को लेकर अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या किसी खास प्रत्याशी के पक्ष में मशीन की पहले से प्रोग्रामिंग की जा सकती है। आयोग के अनुसार इसके लिए सम्बन्धित प्रत्याशी का क्रमांक पता होना जरूरी है। यह क्रमांक प्रत्याशियों के नामांकन पत्र भरने और जांच में उसके वैध पाए जाने के आधार पर तय होता है। प्रत्याशियों की सूची जारी होने से पहले उनके क्रमांक का पता नहीं लगाया जा सकता। इसलिए मशीन की पहले से प्रोग्रामिंग भी नहीं की जा सकती। एक बार बटन दबाकर मतदान करने के बाद इवीएम तब तक दूसरा वोट रिकार्ड नहीं करती जब तक कि मतदान अधिकारी नियंत्रण इकाई से बैलट बटन को नहीं दबाता है। मतगणना के समय कभी-कभी गड़बड़ी के कारण परिणाम नहीं दिखाई पड़ता है। ऐसी स्थिति में परिणाम की पुष्टि के लिए एक अनुपूरक डिस्प्ले इकाई नामक खास प्रणाली होती है जिससे परिणाम को मशीन की मेमोरी से निकाल लिया जाता है। देश में पहली बार  1982 में केरल के पारूर विधनसभा उप चुनाव में 50मतदान केद्रों पर इवीएम के जरिये वोट डाले गये थे 1भारत के अलावा भूटान ने अपने पिछले चुनाव में भारतीय इवीएम का इस्तेमाल किया था। नेपाल में भी पिछले आम चुनावों में कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में इन्हीं मशीनों से वोट डाले गए थे।  सार्वजनिक क्षेत्र की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया इवीएम का निर्माण करतीं हैं और हर चुनाव से पहले इन्हीं कंपनियों के इंजीनियर मशीनों की जांच करते हैं। ये मशीनें एलकेलाइन बैटरी से चलती हैं। कंट्रोल यूनिट ही मुख्य होती है जो इवीएम के सभी डाटा और संचालन को नियंत्रित करती है। कंट्रोल यूनिट के प्रोग्राम को माइक्रो यूनिट मे बर्न कर दिया जाता है।एक बार बर्न होने के बाद इसे न तो पढा जा सकता है न इसकी नकल की जा सकती है और न ही इसमें  छेड़छाड़ की जा सकती है। दृष्टिहीनों के लिए बनी इवीएम में ब्रेल लिपि में प्रत्याशियों का क्रमांक रहता है।

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