• सुरक्षा बलों के हटने से सता रहा जान जाने का भय

    दो चरणों के सफ लतापूर्वक मतदान के बाद आतंकवादियों के खेमे में जो निराशा छाई हुई है उसे आने वाले तूफान के पहले की शांति के रूप में लिया जा रहा है। अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है...

    मतदान की सफलता से खुन्नस में आतंकवादीश्रीनगर !   दो चरणों के सफ लतापूर्वक मतदान के बाद आतंकवादियों के खेमे में जो निराशा छाई हुई है उसे आने वाले तूफान के पहले की शांति के रूप में लिया जा रहा है। अधिकारियों ने आशंका व्यक्त की है कि आतंकवादी अपनी खुन्नस को मिटाने की खातिर मासूम लोगों को अब मौत के घाट उतार सकते हैं। विशेषकर उन इलाकों में जहां उन्होंने मतदान करने के विरुद्ध लोगों को धमकाया गया था।यही नहीं रक्षा अधिकारियों के मुताबिक, पहले दो चरणों के मतदान के दौरान अधिक कुछ नहीं कर पाने के कारण आतंकियों को जो पाकिस्तान से फ टकार पड़ी है उसी के चलते वे अब नेताओं पर हमले कर सकते हैं। दो चरण के मतदान के खत्म होने के बाद से अभी तक किसी बड़ी आतंकी घटना की कोई खबर नहीं है। न ही कोई ऐसी सूचना है कि आतंकवादियों ने उन क्षेत्रों में नागरिकों या सुरक्षाबलों को कोई क्षति पहुंचाने का प्रयास किया हो जहां 10 और 17 अप्रैल को मतदान हुआ था।ऐसा भी नहीं है कि शांति लौट आई हो बल्कि अधिकारी इसे सबसे बुरी स्थिति निरूपित करते हुए कहते हैं 'यह तूफ ान के आने से पहले की शांति है। आतंकवादी किसी बड़ी कार्रवाई को अंजाम देने की तैयारियों में अवश्य होंगें।Ó सेना की उत्तरी कमान में तैनात एक सेनाधिकारी का कहना था जो आतंकवाद विरोधी अभियानों का संचालन कर रहा था। उसकी आशंकाएं पूर्व के अनुभवों पर आधारित हैं। वर्ष 1996 से लेकर अभी तक होने वाले चुनावों के बाद की स्थिति का आकलन ही उसकी शंका का आधार है। पहले भी ऐसा होता रहा है कि आतंकवादियों ने या तो मतदान के पूर्व और फि र बाद में अपनी गतिविधियों को तेज किया था। हालांकि मतदान के बाद तो जितनी भी सामूहिक हत्याएं की गई उन्हें मतदान में भाग लेने की सजा का नाम उनके द्वारा दिया गया था। अधिकारी मानते हैं कि आतंकवादी खुन्नस में हैं। कारण पूरी तरह से स्पष्ट है कि लोगों ने उनके निर्देशों की धज्ज्यिां उड़ाई हैं और आतंकवादी धमकी और कहर के बावजूद उन्होंने मतदान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। अब जबकि मतदान की कामयाबी का सेहरा सुरक्षाबलों के माथे पर मतदाताओं द्वारा बांधा जा चुका है, सुरक्षाबल अब उन्हें छोड़कर जाने की तैयारी में हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो मतदान सुरक्षाबलों की व्यापक तैनाती और उनके अथक प्रयासों का परिणाम था लेकिन अब सुरक्षाबल उन क्षेत्रों से हटने आरंभ हो गए हैं जहां मतदान हो चुका है। यही चिंता का विषय है लोगों तथा नागरिक प्रशासन का। प्रशासन मजबूर है क्योंकि सुरक्षाबलों की आवश्यकता अब दूसरे चरण के मतदान वाले क्षेत्रों में है तो नागरिकों की आंखों में दहशत को स्पष्ट देखा जा सकता है जो अब इस चिंता से ग्रस्त हैं कि तूफान कितने जोर से कहर बरपाएगा। यह बात अलग है कि आतंकवादियंों ने कहर बरपाने की घोषणा भी कर दी है। 

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