• राजनाथ के टोपी पहनने से भाजपा में घमासान

    लखनऊ में राजनाथ सिंह ने टोपी क्या पहन ली भाजपा में घमासान मच गया। पार्टी के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने तो सीधे तौर पर राजनाथ सिंह के इस कारनामे को दिखावा करार दिया...

    मोदी खेमे का दावा, वाजपेयी के विकल्प नहीं राजनाथमोदी ने किया था मुस्लिम टोपी पहनने से इनकारनई दिल्ली !  लखनऊ में राजनाथ सिंह ने टोपी क्या पहन ली भाजपा में घमासान मच गया। पार्टी के प्रधानमंत्री के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी ने तो सीधे तौर पर राजनाथ सिंह के इस कारनामे को दिखावा करार दिया और तुष्टïीकरण की राजनीति से संज्ञापित कर दिया। मोदी ने साफ कर दिया कि तुष्टिकरण के प्रतीकों के प्रचलन में उन्हें विश्वास नहीं है। मोदी के इस तल्ख तेवर से पार्टी ऊहापोह में फंस गई है। पार्टी जवाब नहीं दे पा रही है कि आखिरकार किसको सही कहां जाएं और किसको गलत। हालांकि पार्टी की ओर एक औपचारिक बयान दिया गया है जिसमें यह कहा गया है कि टोपी पहनना या नहीं पहनना व्यक्तिगत स्वतंत्रता होती है। हालांकि पार्टी ने सफाई  भी दी है कि मीडिया में जिस फोटो दिखाया जा रहा है वह पहले की फोटो है। राष्टï्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री थे उस समय शिया धर्मगुरूओं के पास जाते थे। सूत्रों की माने तो लखनऊ में सियासी गणित को अपने पक्ष में करने के लिए राजनाथ सिंह शिया धर्मगुरूओं के दरवाजे गए थे। लेकिन पार्टी में मोदी खेमा नेे इसे गंभीरता से लेते हुए भविष्य की सियासी राजनीति मानते हैं। मोदी खेमा का मानना है कि वाजपेयी के एक मात्र विकल्प नरेन्द्र मोदी हंै और इस बारे कोई भ्रम नहीं होना चाहिए।  गौरतलब है कि सितंबर 2011 में अपने सद्भावना मिशन के दौरान नरेंद्र मोदी ने इसे पहनने से इनकार कर दिया था। बीजेपी से रिश्ते तोडऩे से पहले नीतीश कुमार ने यह कहकर मोदी पर हमला किया था कि देश की परंपरा ऐसी है कि इसमें टोपी भी पहननी पड़ती है और टीका भी लगाना पड़ता है। इफ्तार की राजनीति से चला यह प्रचलन अब इस पर सियासत होने लगी हैं। नब्बे के दशक में अचानक दिल्ली के लुटियन जोन में आई इफ्तार पार्टियों की बाढ़ ने देश की राजनीति में मुस्लिम वोट बैंक और सियासत में उनकी भूमिका को फिर सेंटर स्टेज पर ला दिया।

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