• लोकसभा में नहीं दिखेंगे कई अनुभवी चेहरे

    मौजूदा लोकसभा के 543 सदस्यों में से कम से कम चार ऐसे सदस्य हैं जिन्हें 25 वर्ष से अधिक की संसदीय राजनीति का अनुभव है ...

    अलग-अलग कारणों से कई दिग्गजों ने छोड़ा मैदाननई दिल्ली !   मौजूदा लोकसभा के 543 सदस्यों में से कम से कम चार ऐसे सदस्य हैं जिन्हें 25 वर्ष से अधिक की संसदीय राजनीति का अनुभव है लेकिन इस बार वे किसी न किसी कारण से आम चुनाव में उम्मीदवार नहीं हैं। राजनीति के इन दिग्गज नेताओं में शरद पवार, पी. चिदम्बरम, लालू प्रसाद यादव और ममता बनर्जी शामिल हैं।भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता गुरुदास दास गुप्ता भी स्वेच्छा से इस बार चुनाव मैदान में नहीं है। क्रिकेट की राजनीति से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि बनाने वाले शरद पवार इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं बल्कि महाराष्ट्र में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गठबंधन के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित कराने के लिए ऐडी चोटी का जोर लगाए हुए हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के माढा सीट से राकांपा का प्रतिनिधितव करने वाले पवार हाल ही राज्यसभा के लिए चुने गए हैं। इस बार माढा लोकसभा क्षेत्र से राकांपा के उम्मीदवार वीएम पाटिल हैं। कांग्रेस से अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत कर कांग्रेस एस में शामिल होने तथा अंत में 1999 में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठन करने वाले इस नेता ने महाराष्ट्र के बारामती संसदीय क्षेत्र का भी प्रतिनिधित्व किया था। वह सात बार लोकसभा के सदस्य चुने गए हैं। पिछले संसदीय चुनाव में बारामती सीट से पवार की एक मात्र पुत्री सुप्रिया सुले निर्वाचित हुई थी और इस चुनाव में भी वह यहां से राकांपा की प्रत्याशी हैं। केन्द्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी.चिदम्बरम इस बार लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। चिदम्बरम 1984 में कांग्रेस के टिकट पर तमिलनाडु के शिवगंगा संसदीय सीट से विजयी हुए थे। राजनीति के धुरंधर और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव इस बार तकनीकी कारणों से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। बिहार के चर्चित चारा घोटाले में यादव को सजा होने के कारण पिछले दिनों उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त हो गई थी। कांग्रेस से अपनी राजनीति की शुरुआत करने के बाद तृणमूल कांग्रेस का गठन कर पश्चिम बंगाल में 34 वर्ष तक सत्तारुढ़ माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार को सत्ता से बाहर करने वाली ममता बनर्जी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रही  हैं। लगभग 25 वर्ष तक लोकसभा का सदस्य रही बनर्जी पहली बार 1984 में पश्चिम बंगाल की जादवपुर संसदीय सीट पर माकपा के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को पराजित किया था। 

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