• सलाम क्यूबा

    भारत में आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एम्स के दीक्षांत समारोह में नए डाक्टरों को भावी जीवन के लिए सीख दे रहे थे। उन्होंने आजीवन विद्यार्थी की जिज्ञासा बनाए रखने, समाज के प्रति फर्ज निभाने आदि सीख डाक्टरों को दी, उन्हें कुछ दिन भारत के पिछड़े गांवों, जंगलों में जाकर सेवाएं देने की अपील की और विश्वास व्यक्त किया कि वे स्वस्थ भारत के निर्माण में अपना योगदान देंगे। ...

    भारत में आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एम्स के दीक्षांत समारोह में नए डाक्टरों को भावी जीवन के लिए सीख दे रहे थे। उन्होंने आजीवन विद्यार्थी की जिज्ञासा बनाए रखने, समाज के प्रति फर्ज निभाने आदि सीख डाक्टरों को दी, उन्हें कुछ दिन भारत के पिछड़े गांवों, जंगलों में जाकर सेवाएं देने की अपील की और विश्वास व्यक्त किया कि वे स्वस्थ भारत के निर्माण में अपना योगदान देंगे। इस सुनहरे अवसर पर अगर प्रधानमंत्री मोदी इबोला के पीडि़तों की मदद के लिए भारत के डाक्टरों का आह्वान करते, तो और बेहतर होता। इससे विश्व स्तर पर भी सही संदेश जाता। गौरतलब है कि इबोला नामक बीमारी इस वक्त दुनिया में आतंक का सबसे बड़ा पर्याय बनी हुई है। इबोला का वायरस न देशों की सीमाएं जानता है, न मजहब, न अर्थव्यवस्था, वह इन तमाम भेदों से परे समूची मानव जाति पर जान का खतरा बन कर छाया हुआ है। प.अफ्रीका के देश जैसे लाइबेरिया, गिनी, सिएरा लियोन आदि में इबोला का सर्वाधिक संक्रमण हुआ है। प.अफ्रीका में इबोला से साढ़े चार हजार मौतें हो चुकी हैं। एक अनुमान के मुताबिक इबोला से प्रभावित 70 प्रतिशत लोगों की मौत हो चुकी है। इबोला से बचाव की दवा विकसित करने में वैज्ञानिक जुटे हैं, लेकिन अभी इस दिशा में कोई बड़ी सफलता नहींमिली है। इबोला के टीके पर काम कर रही ब्रिटिश प्रयोगशाला की ओर से खबर आई है कि टीका तैयार करने में कम से कम दो साल और लगेंगे। फिलहाल इबोला से बचाव का एक तरीका यह अपनाया जा रहा है कि प.अफ्रीका के देशों से आवाजाही बंद कर दी जाए। विश्व के अनेक देशों ने इबोला प्रभावित देशों से हवाई यातायात प्रतिबंधित कर दिया है। चूंकि इन गरीब देशों से बहुत ज्यादा आर्थिक हित किसी के नहींजुड़े हैं तो यहां आवाजाही रोकने से बाहरी देशों की अर्थव्यवस्था पर कोई खास प्रभाव नहींपड़ रहा। यह और बात है कि इससे उन गरीब देशों की पहले से कमजोर रीढ़ पर और अधिक चोट पड़ रही है। एक ओर लाइलाज बीमारी, इलाज के इंतजार में पीडि़त जनता और दूसरी ओर दुनिया से संपर्क सीमित होने, कटने के कारण आर्थिक संकट का खतरा। संरा ने विश्व को इबोला के बारे में सावधान करते हुए सभी देशों को इस संकट में साथ आने कहा। अधिकतर देश अपने बचाव की फिक्र कर रहे हैं, लेकिन प.अफ्रीकी देशों के बारे में नहींसोच रहे। शायद इसलिए लाइबेरिया की राष्ट्रपति एलेन जान सरलीफ़ ने दुनिया के नाम एक खत में लिखा है कि इबोला से लडऩे के लिए हर उस देश को प्रतिबद्ध होने की ज़रूरत है जिनमें मदद करने की क्षमता है। भले ही वो मदद आकस्मिक पूंजी, स्वास्थ्य उपकरणों की आपूर्ति या कुशल डॉक्टरों के रूप में हो। वे कहती हैं, प. अफ्रीका के लाखों नागरिकों को उनके हाल पर नहीं छोड़ा जा सकता ये दुनिया भर के देशों का कर्तव्य है कि वे उन्हें मदद का भरोसा दिलाएं। इस बीच चीन और अमरीका ने इबोला के खिलाफ साथ लडऩे का इरादा व्यक्त किया है। चीन ने इबोला से लडऩे के लिए प. अफ्रीकी देशों को पांच करोड़ 30 लाख अमेरिकी डॉलर की सहायता देने के साथ ही चिकित्सकों का एक दल भी भेजा है। चीन का यह कदम तारीफ के काबिल है। जनसंख्या, भूभाग, आर्थिक स्थिति हर लिहाज से चीन दुनिया के अग्रणी देशों में एक है, और उसने अपनी क्षमता के अनुरूप कार्य किया। लेकिन कमाल मात्र एक करोड़ की आबादी वाले कैरेबियाई सागर के द्वीपीय देश क्यूबा का भी कम नहींहै, जिसने सितम्बर में ही घोषणा कर दी थी कि वह प.अफ्रीका में डाक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की टीम इबोला के इलाज के लिए भेजेगा और उसने 165 लोगों का एक दल वहां भेज भी दिया है, इसके अलावा जल्द ही और 300 स्वास्थ्यकर्मी क्यूबा से इबोला प्रभावित इलाकों में पहुंचने वाली है। क्यूबा के लोगों ने अपनी कर्मठता, दृढ़ इच्छाशक्ति और अनूठी सूझबूझ से पहले भी दुनिया के महाबलियों को चौंकाया है, अब मानवता की पहल में भी उसने बढ़त हासिल कर ली है।

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