• हाथियों का बढ़ता आतंक

    छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाकों में हाथियों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। पिछले चौबीस घंटे में इन हाथियों ने दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया। अकेले सरगुजा जिले में एक महीने के भीतर ये हाथी चार लोगों की जान ले चुके हैं। बड़े पैमाने पर घरों व फसलों के नुकसान साथ जनहानि को देखते हुए राहत व बचाव के प्रति उदासीनता के कारण लोगों में रोष बढ़ रहा है। लोग अपने जानमाल की सुरक्षा खुद करने को विवश हैं और संघर्ष में लोगों की जान जा रही है।...

    छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाकों में हाथियों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। पिछले चौबीस घंटे में इन हाथियों ने दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया। अकेले सरगुजा जिले में एक महीने के भीतर ये हाथी चार लोगों की जान ले चुके हैं। बड़े पैमाने पर घरों व फसलों के नुकसान साथ जनहानि को देखते हुए राहत व बचाव के प्रति उदासीनता के कारण लोगों में रोष बढ़ रहा है। लोग अपने जानमाल की सुरक्षा खुद करने को विवश हैं और संघर्ष में लोगों की जान जा रही है। नब्बे के दशक में राज्य के जंगलों में हाथियों का एकमात्र झुण्ड था,जो यदाकदा आबाद क्षेत्रों में घुस आता था। उन दिनों इन हाथियों को पकड़कर उनके पुनर्वास की योजना तैयार की गई और सारे हाथी इधर-उधर भेज दिए गए। पिछले ढाई दशक में हाथियों के कई झुण्ड आ धमके हैं और इनकी संख्या 250 के आसपास हो गई है। कौन झुण्ड किस इलाके में आ धमकेगा, इसकी वन विभाग को न कोई सूचना रहती है और न ही राहत व बचाव के उपायों को ही गंभीरता से लिया जा रहा है। हाथियों का मानव आबादी से संघर्ष बढ़ता जा रहा है और यही हाल रहा तो बड़ी गंभीर स्थिति निर्मित हो सकती है। पिछले कुछ महीनों के भीतर रायगढ़ जिले में इस संघर्ष में हाथी भी मारे गए हैं। हाथियों की इतनी बड़ी संख्या को नियंत्रित करने के लिए जरुरी है कि तात्कालिक उपायों पर गौर किया जाए। हाथियों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए ताकि लोगों को हाथियों के खतरे से समय रहते आगाह किया जा सके। हाथियों की समस्या से निपटने के लिए सरकार ने योजनाएं तो तैयार की हैं, पर तात्कालिक खतरे से निपटने के लिए कुछ करने की जरुरत है। इसके लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लेने से लेकर लोगों में बचाव के उपायों के प्रति जागरुकता भी फैलानी होगी। ऐसी कोशिश करने होगी, जिससे हाथियों को आबाद क्षेत्रों में घुसने से रोका जा सका। जंगलों में सोलर फेन्सिग लगाने तथा हाथियों के लिए जंगलों के भीतर चारे-पानी के प्रबन्ध जैसी योजनाएं तो ठीक है पर इसमें समय लगेगा। सुरक्षा के फौरी उपाय क्या हो सकते हैं, इसे गंभीरता से लेने की जरुरत है। उत्तरी इलाके के करीब 26 हजार वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र व उससे लगे मानव आबादी वाले क्षेत्रों को हाथियों की समस्या की दृष्टिï से संवेदनशील माना गया है। ऐसे करीब 6 सौ गांव हैं, जिन्हें हाथियों से खतरा हो सकता है। इन गांवों में सुरक्षा के लिए सौर ऊर्जा पर आधारित हाईमास्ट लाईट लगाने की योजना पर तुरंत अमल हो तो लोगों का बचाव हो सकता है। अभी खेतों में मक्के की फसल है और कुछ दिनों में धान की बालियां भी निकल आएंगी। ऐसे मौसम में हाथियों का जंगलों से निकलकर आबादी में घुसने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। यह मौसम वन विभाग के लिए और अधिक सावधान रहने का है।

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