• नक्सलियों की नई मोर्चेबंदी?

    नक्सली समस्या से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार करने और छत्तीसगढ़ को प्राथमिकता क्रम में सबसे ऊपर रखने के केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के ऐलान के बाद ऐसा लगता है कि नक्सलियों ने नई मोर्चेबंदी पर काम शुरु कर दिया है। राज्य के उत्तरी इलाकों में नक्सलियों की पैठ लगभग समाप्त हो गई है...

    नक्सली समस्या से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार करने और छत्तीसगढ़ को प्राथमिकता क्रम में सबसे ऊपर रखने के केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह के ऐलान के बाद ऐसा लगता है कि नक्सलियों ने नई मोर्चेबंदी पर काम शुरु कर दिया है। राज्य के उत्तरी इलाकों में नक्सलियों की पैठ लगभग समाप्त हो गई है और सुरक्षा बलों की कड़ी चौकसी के कारण उनके लिए फिर पांव जमाना आसान भी नहीं है फिर भी इस इलाकों में नक्सलियों की आमदरफ्त फिर शुरु होने की खबरों से पता चलता है कि नक्सली सुरक्षा बलों का ध्यान भटकाने के लिए इस इलाकों में अपनी सक्रियता बढ़ाने की योजना पर काम कर रहे हैं। रायगढ़ जिले में 250 नक्सलियों के घुसने की सूचना पर पुलिस सतर्कता बरत रही है और पुलिस टीमों को सर्चिंग के काम में लगा दिया गया है। करीब दो दशक पहले राज्य का यही उत्तरी इलाका नक्सली गतिविधियों का केन्द्र बना हुआ था। नक्सली हिंसा की घटनाओं से लोग दहशत से भर उठे थे। सुरक्षा बलों के बड़े अभियान के बाद इस इलाके में शांति कायम की जा सकी, लेकिन एक बार फिर इसका खतरा बढ़ गया है। बस्तर में सुरक्षा बलों का दबाव लगातार बढ़ रहा है। नक्सली आए दिन आत्मसमर्पण करने मजबूर हो रहे हैं। इससे सरकार के इस दावे की पुष्टिï होती है कि नक्सली कमजोर हुए हैं। सरकार यह मानती है कि यही समय है जब इस समस्या से निपटने के प्रयासों को और तेज किया जाए। पिछले कुछ वर्षों से नक्सलियों ने अपने आप को बस्तर  के इलाकों में समेट रखा है और इस दौरान सुरक्षा बलों पर कई बड़े हमले किए हैं। दबाव बढऩे के बाद वे इलाका बदलने की फिराक में हो सकते हैं। उत्तरी इलाके के घने जंगलों का फायदा उठाकर वे इसे अपने सुरक्षित ठिकाने के रुप में देख सकते हैं। हालांकि पिछले दो-ढाई दशक में इस इलाके में सुरक्षा-व्यवस्था से जुड़ी परिस्थितियां काफी बदल चुकी हैं। अब सुरक्षा बलों की गांव-गांव तक पहुंच आसान हो गई है और सूचना तंत्र भी विकसित कर लिया गया है। इसके बावजूद पूरी सतर्कता बरतने की आवश्यकता है क्योंकि लोगों में खौफ पैदा करने के लिए कोई एक बड़ी वारदात भी काफी होगी और फिर गांवों में शरण लेना उनके लिए कठिन नहीं रह जाएगा। यह सबको पता है कि सुरक्षा बलों का पूरा ध्यान इस समय बस्तर पर है। उत्तरी इलाकों में आम तौर पर शंाति है और सुरक्षा बल की सक्रियता अपेक्षाकृत कम है। पहले इस इलाके में जो अतिरिक्त कंपनियां कार्यरत थी, उन्हें वहां से हटाकर बस्तर के इलाकों में तैनात किया जा चुका है। ऐसे समय में सुरक्षा चौकसी बढ़ाकर ही आशंकित खतरे को रोका जा सकता है।

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