चायना लाइट के खिलाफ बने माहौल
से कुम्हारों की उम्मीद जगी
रायगढ़ ! रामायण में इस बात का जिक्र है कि जब भगवान राम वनवास से लौटे थे तो अयोध्या में घी के दिये जले थे और वो दिये मिट्टी के दिये थे जिनमें पूरा अयोध्या जुगनूओं की तरह दिख रहा था और इसी दिन से दीवाली का त्यौहार मनाया जा रहा है। लेकिन मिट्टी के दिये बदलती परंपरा के चलते आज न केवल बाजार से गायब हो गये है बल्कि इनको बनाने वाले भी अपनी आजीविका पूरी तरह खत्म होनें की बात कह रहें है। बाजार सज चुके है और कुम्हार अपने परिवार के साथ बाजार के कोने में बैठकर दिये की दुकान लगा चुका है और इस बार उसे यह उम्मीद है कि पूरे देश में चायना लाईट के खिलाफ बने माहौल का फायदा उसे मिलेगा और पहली बार वह मुनाफे की रकम लेकर घर जाएगा?
दीपावली का त्यौहार एक ऐसा त्यौहार है जिसको लेकर जनता में खासा उत्साह देखा जाता है और आम आदमी से लेकर व्यापारी भी खासे उत्साहित रहते है और सबसे ज्यादा आस ग्रामीण इलाकों में रहने वाले उन कुम्हारों को रहती है जो इस बडे त्यौहार में अपनी साल भर की मेहनत से बनाये गये मिट्टी के दिये बिक जाने की आस लगाकर बैठ जाते है चूूंकि मिट्टी से बने दिये उनकी आजीविका का एकमात्र साधन है और इसे बनाने के लिये वे बदलते परिवेश में कर्ज लेकर अपनी रोजी रोटी का जुगाड करते है कुम्हार फागुलाल की मानें तो बाजार में बिकने वाली चायनीज लाईट और अन्य विदेशी सामानों के साथ आने वाले दिये के चलते उनके मिट्टी के दिये कम बिकते है और खिलौनों का भी यही हाल है। दुकान में सामान खरीदने गये ग्राहक मुकेश अग्रवाल भी इस बात को मानते है कि मिट्टी के दिये जलाने से लक्ष्मी का आगमन होता है और दिये जलाने के लिये भी वे सदैव लोगों को भी कहते है लेकिन चायना लाईट सस्ती मिलने के चलते और लोग मिट्टी के दिये छोडकर घरों को सजाते है जिसके चलते अब घरों में चायना लाईट व चायना के अन्य सामान सजते है और दिये गायब हो चुकें है। जबकि महिलाएं अभी भी यह मानती है कि चायनीज दिये व चायना लाईट पूरी तरह बंद हो जाना चाहिए और लोगों को मिट्टी के दिये ही जलाना चाहिए। भले ही गरीब कुम्हार दीवाली आने के महीनों पहले से ही कर्ज लेकर मिट्टी तथा अन्य संसाधन जुटाकर दिये बनाकर ग्राहकों का इंतजार करते रहे लेकिन अभी भी पूरे बाजार चायना लाईट व चायना के अन्य बिजली सामान से सज चुकें है जबकि महीनों पहले से ही नेताओं ने अपनी नेता गिरी चमकाने के लिये चायना लाईट पर प्रतिबंध लगाने का प्रचार-प्रसार करते हुए आम जनता से इसे नहीं खरीदने की अपील की थी पर सरकार द्वारा केवल कागजों में ही की गई कार्रवाई का असर बाजार पर कहीं देखने को नही मिलता। अकेले रायगढ़ बाजार में धडल्ले से चायना लाईट व चायना के अन्य बिजली सामान बेचे जा रहें है और बेचने वाले भी कहते है कि सस्ते होनें के चलते लोग इसे खरीदते है साथ ही साथ डिमांड के अनुसार ही बाजार में उनको बेचना उनकी भी मजबूरी है चूंकि महंगे सामानों को दीपावली के समय कोई भी ग्राहक लेना नही चाहता। बहरहाल मिट्टी के दिये बनाने वाले कुम्हार का भरोसा इस बार भी पूरी तरह टूट चुका है और उसके साथ ही उनकी वो उम्मीद भी खत्म हो गई है जो यह सोंचकर अपनी पूरी जमा पूंजी मिट्टी के दिये बनाने में लगाकर अपने दिये बिकने की आस लगाये बैठे थे और उनके दिये बुझे-बुझे दिख रहें है।