• फैक्ट्री में भीषण आग के धुएं से ढंक गया था आधा शहर

    भोपाल ! छोला रोड स्थित पुराने कबाड़ खाने में सोमवार तडक़े करीब 3 बजे प्लास्टिक कारखाने में भडक़ी आग के कारण आधा शहर धुएं के गुबार में ढक गया था। बीते 70 साल के इतिहास में कबाडख़ाने की यह सबसे भीषण आग बताई जाती है।...

    भोपाल   !  छोला रोड स्थित पुराने कबाड़ खाने में सोमवार तडक़े करीब 3 बजे प्लास्टिक कारखाने में भडक़ी आग के कारण आधा शहर धुएं के गुबार में ढक गया था। बीते 70 साल के इतिहास में कबाडख़ाने की यह सबसे भीषण आग बताई जाती है। आग की भयावहता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि घटना स्थल से लगभग 6 किलोमीटर दूर अशोका गार्डन इलाके में लोगों की सुबह नींद खुली तो चारों तरफ धुआं ही धुआं नजर आ रहा था। लोग छत पर खड़े होकर यह नजारा देख रहे थे। वहीं कई फीट ऊंची आग की लपटों के कारण घटना स्थल के अलावा आसपास के क्षेत्रों में हडक़ंप मच गया। मौके पर मौजूद लोग अपने-अपने तरह से आग बुझाने में लगे हुए थे, लेकिन देखते ही देखते आग की लपटों में एक के बाद एक 5 गोदाम घिर गई थी। आग बुझाने में 29 टैंकरों को लगाया गया था, जो करीब चार-चार चक्कर पानी लाएं, लो मौके पर मौजूद दमकलों के माध्यम से आग पर डाला गया, लेकिन पानी वाली दमकलें आग बुझाने में कारगर साबित नहीं हो सकी। बाद में भेल की फोम फेंकने वाली 10 दमकलों के दो माध्यमसे आग बुझ सकी। लेकिन तब तक चारों तरफ राख के ढेर लग चुके थे। अधिकारियों की मानें तो प्लॉस्टिक फैक्ट्री में भारी मात्रा में प्लॉस्टिक के सामान बनाने का कच्चा सामान रखा था। साथ ही रसायन भी वहां मौजूद था। इस कारण आग काबू में नहीं आ रही थी। जब तक पूरा सामान जलकर खाक नहीं होगा, तब तक आग नहीं बुझ सकी। 2 दर्जन मकान खाली: भीषण आग को देखते हुए मौके पर पहुंचे प्रशासनिक और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने आसपास के करीब दो दर्जन मकानों को खाली करवा दिया। क्योंकि आग बुझाने का नाम ही नहीं ले रही थी और उसकी लपटों ने आसपास के मकानों को भी अपने चपेट में ले लिया था। इससे कुछ मकानों के हिस्से क्षतिग्रस्त भी हो गए थे। वहीं कुछ मकान मालिकों ने अपने घर से सामान भी बाहर निकालना शुरू कर दिया है। तीन मंजिला इमारतें ढहीं: आग के कारण जर्जर हुई कारखाने की तीन मंजिला इमारत के साथ ही उसके समीप का भवन भी भरा-भराकर गिर गया। गनीमत तो यह रही है कि हादसे में कोई भी हताहत नहीं हुआ। आग शॉर्ट सर्किट से लगना बताई जाती है। दो घंटे देरी से पहुंची दमकल : बताया गया है कि आस-पास के लोगों ने इसकी सूचना फायर ब्रिगेड को दी और खुद भी आग बुझाने का प्रयास करने लगे। लेकिन दो दिन से इलाके में पानी की आपूर्ति भी नहीं हुई थी। इसलिए वे इस तत्काल इस पर काबू भी नहीं पा सके। वहीं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि आग रात दो से तीन बजे के बीच लगी। पहले आग को आसानी से बुझाया जा सकता था, लेकिन उनके घरों में पानी ही नहीं था। इसलिए नगर निगम के दमकल विभाग को सूचना दी गई लेकिन गाडिय़ां दो घंटे देरी से घटनास्थल पर पहुंची। इसकी वजह से आग फैलती चली गई और इतना नुकसान हो गया।


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