• मध्य प्रदेश में नायलोन और चीनी मांजे पर प्रतिबंध

    भोपाल ! मध्य प्रदेश सरकार ने पतंग उड़ाने में उपयोग में लाए जाने वाले नायलोन व चीनी मांजे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह रोक पक्षियों और मनुष्यों पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव के मददेनजर लगाई गई है। ...

    भोपाल !  मध्य प्रदेश सरकार ने पतंग उड़ाने में उपयोग में लाए जाने वाले नायलोन व चीनी मांजे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह रोक पक्षियों और मनुष्यों पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव के मददेनजर लगाई गई है। इन मांजों के इस्तेमाल से होने वाले हादसों का ब्योरा दिए जाने के साथ रोक लगाने की मांग पीपुल्स फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पीटा) ने की थी। पीटा के सरकारी संपर्क अधिकारी निकुंज शर्मा ने बताया, पीटा ने इंसान व पक्षियों के लिए हानिकारक मांजे के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी, इसको लेकर राष्ट्रीय हरित अभिकरण में भी एक याचिका दायर की है। मध्य प्रदेश सरकार ने एक आदेश जारी कर नायलोन व चीनी मांजे के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। उन्होंने बताया, इन मांजों के इस्तेमाल से कई स्थानों पर हादसे हो चुके हैं। एक तरफ जहां हर साल हजारों पक्षियों की जान खतरे में पड़ जाती है, वहीं इंसान भी हादसों के शिकार होते हैं। अहमदाबाद में तो एक आंकलन के मुताबिक, उत्तरायण पर्व के दौरान होने वाली पतंगबाजी में दो हजार कबूतर, चील व गिद्घ घायल हुए थे, जिनमें से पांच सौ की मौत हो गई। शर्मा के मुताबिक, कई राज्य इस तरह के मांजे पर रोक लगा चुके हैं, वहीं केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय इन मांजों से होने वाले नुकसान का जिक्र करते हुए इस पर रोक लगाने को कहा है। पीटा को राज्य सरकार के मंत्री लाल सिंह आर्य की तरफ से एक पत्र मिला है, जिसमें पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 की धारा पांच के अंतर्गत नायलोन व चीनी मांजे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किए जाने की जानकारी दी गई है। पीटा के मुताबिक, राज्य सरकार की ओर से भेजे गए आदेश की प्रति में इस बात का हवाला दिया गया है कि इस तरह के मांजे के इस्तेमाल से पक्षियों व मानव पर दुष्प्रभाव पड़ता है। यह मांजा पर्यावरण के लिए भी नुकसानदायक बताया गया है। राज्य सरकार के आदेश में आगे कहा गया है कि इस मांजे से पंतग उड़ाने की वजह से बिजली के तारों में शार्ट सर्किट की घटनाएं होती हैं, क्योंकि यह मांजा दो तारों के बीच उलझकर हादसे का कारण बनता है। वहीं नान बायोडिग्रेडेबल के इस्तेमाल के कारण यह मांजा जल्दी नष्ट नहीं होता, जिससे कई अन्य तरह के भी नुकसान होते हैं। लिहाजा इसके इस्तेमाल पर रोक लगाई गई है।


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