• पहले बिजली फिटिंग,बाद में ठेका!

    बिलासपुर ! लोक निर्माण विभाग के विद्युत यांत्रिकी विभाग में टेण्डर के पहले ही ठेकेदार कार्य कर रहे हैं। बिजली का कार्य खत्म होने के बाद विभाग टेण्डर प्रक्रिया पूरी करता है। ...

    पहले बिजली फिटिंग,बाद में ठेका!

    लोक निर्माण विभाग का कारनामा,6 माह में 3.40 करोड़ के कार्य बांटे गए बिलासपुर !   लोक निर्माण विभाग के विद्युत यांत्रिकी विभाग में टेण्डर के पहले ही ठेकेदार कार्य कर रहे हैं। बिजली का कार्य खत्म होने के बाद विभाग टेण्डर प्रक्रिया पूरी करता है। लाखों का कार्य बिना टेण्डर के ठेकेदार को मिल जाता है। जबकि शासन के नियम के अनुसार कार्य का पहले टेण्डर बुलाने का नियम है। बताया जाता है कि विद्युत यांत्रिकी विभाग में तीन करोड़ 40 लाख के बिजली का कार्य सांठगांठ कर दिया गया है। 6 महीने के भीतर में 36 टेण्डर में सेटिंग कर ठेकेदार को विभाग से काम दिया गया है। सभी टेण्डर को सीएसआर दर से 20 प्रतिशत अधिक रेट में दिया गया है। बताया जाता है कि विद्युत यांत्रिकी विभाग में 20 प्रतिशत से अधिक दर पर कमीशन का खेल चलता है। जबकि निर्माण कार्य का ऑनलाइन टेण्डर किया जाता है। उसके बाद भी विभाग में टेण्डर को सेटिंग से ठेकेदार को दिया जा रहा है। शासन को विद्युत यांत्रिकी विभाग करोड़ का नुकसान पहुंचा रहा है। लोक निर्माण विभाग के विद्युत यांत्रिकी विभाग में शासन के नियम का पालन टेण्डर प्रक्रिया में नहीं किया जा रहा है, जबकि कार्य को आनलाईन टेण्डर प्रक्रिया से देना है। मगर विद्युत यांत्रिकी विभाग में आज भी ठेकेदार को बिजली के लाखों का कार्य सांठगांठ कर दिया जा रहा है। 20 फीसद अधिक दर पर ठेका  ठेकेदार को मोटी कमीशन विभाग में देने के बाद शासन की दर से 20 प्रतिशत अधिक दर पर ठेका मिल जाता है। विभाग में कुछ ठेकेदार को सेटिंग के माध्यम से कार्य देने का खेल विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक करते हैं, क्योंकि विभाग के अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक को कमीशन ठेकेदार द्वारा दी जाती है। विद्युत यांत्रिकी विभाग में टेण्डर से पहले ठेकेदार से कार्य शुरू करने की अनुमति देने का खेल चलता आ रहा है, जबकि शासन के नियम के अनुसार टेण्डर के बाद में वर्क आर्डर विभाग द्वारा दिया जाता है परंतु कार्य खत्म होने के बाद टेण्डर प्रक्रिया शुरू की जाती है। शासन के नियम का उल्लंघन विद्युत यांत्रिकी विभाग कर रहा है। करोड़ों की कमाई हुई थी उजागर ज्ञात होगा कि कुछ महीने पहले विद्युत यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता के घर में एसीबी का छापामार कार्रवाई कर करोड़ों की काला बमाई उजागर की थी। एसीबी को शिकायत मिली थी कि विद्युत यांत्रिकी विभाग में सभी ठेके सांठगांठ कर ठेकेदार को दिए जाते हैं और मोटी कमीशन विभाग द्वारा ली जाती है। 3.40 करोड़ के कार्य बांटे प्राप्त जानकारी के अनुसार 6 महीने के भीतर विभाग से तीन करोड़ 40 लाख के कार्य ठेकेदारों में बांटे गए थे। 36 कार्यों के ठेके ठेकेदारों को दिए गए थे। इसमें सभी अधिकारी और कर्मचारियों के नजदीकी ठेकेदार बताए जाते हैं। टेण्डर के नियमों को ताक पर रखकर कार्य कार्य दिए गए जबकि ऑनलाईन टेण्डर प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की जाती है। प्राप्त जानकारी के मुतामिक विभाग में अपने बनाए नियमों का पालन अधिकारी कर्मचारी करते हैं। घटिया स्तर का्र बिजली सामान नए सरकारी भवनों में बिजली के कार्य की जिम्मेदारी विद्युत यांत्रिकी विभाग की रहती है मगर ठेकेदार भवन में बिजली के उपकरण लगाते हैं तो बिजली के सामानों की क्वालिटी भी ठीक नहीं रहती। जिसकी वजह से कुछ सालों बाद ही भवन में नए सिरे से कार्य करना  पड़ता है।  शासन को नए और बाद में होने वाले रिपेयरिंग कार्य में करोड़ों का नुकसान होता है, मगर विभाग के अधिकारी बिजली के सामानों की जांच तक नहीं करते परंतु जबकि टेण्डर में अच्छी कंपनी के बिजली उपकरणों के उपयोग करने की शर्त होती है। मगर ठेकेदार लोकल कंपनी के बिजली उपकरणों का उपयोग करते हैं जबकि शासन ने ब्रांडेड बिजली के सामान लगाने का आदेश विभाग को दे रखा है, मगर विभाग का ठेकेदार पर कोई दबाव नहीं रहता है।


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