• छत्तीसगढ़: 5 प्रमुख कृषि उपज मंडियों में ई- नीलामी शुरू

    रायपुर। छत्तीसगढ़ की पांच प्रमुख कृषि उपज मंडियां आज से राष्ट्रीय कृषि बाजार व्यवस्था से जुड़ गई। ...

    छत्तीसगढ़: 5 प्रमुख कृषि उपज मंडियों में ई- नीलामी शुरू

     

    छत्तीसगढ़: 5 प्रमुख कृषि उपज मंडियों में ई- नीलामी शुरू

    रायपुर। छत्तीसगढ़ की पांच प्रमुख कृषि उपज मंडियां आज से राष्ट्रीय कृषि बाजार व्यवस्था से जुड़ गई। राज्य की नयापारा,भाटापारा, कवर्धा, राजनांदगांव और कुरूद की कृषि उपज मंडियों में कल से कृषि उपजों की ई-नीलामी शुरू हो गई। कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कल शाम नयापारा (राजिम) की कृषि उपज मंडी परिसर में आयोजित समारोह में इस मंडी में ई-नीलामी का शुभारंभ किया।

     अग्रवाल ने नयापारा कृषि उपज मंडी में शेड निर्माण के लिए दो करोड़ रूपए, मंडी परिसर में रेजा और हमालों के लिए विश्राम गृह बनाने 15 लाख रूपए तथा नयापारा में सब्जी बाजार विकसित करने 25 लाख रूपए की मंजूरी दी। समारोह में छत्तीसगढ़ राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष चंद्रशेखर साहू भी मौजूद थे।


     अग्रवाल ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2020 तक देश के किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने की कार्ययोजना के तहत राष्ट्रीय कृषि बाजार व्यवस्था शुरू की गई है। राष्ट्रीय कृषि बाजार के प्रथम चरण में छत्तीसगढ़ के 14 कृषि उपज मंडियों को शामिल किया गया है। प्रथम चरण में आज प्रदेश की पांच मंडियों में ई-नीलामी शुरू हो गई है।

    उन्होंने कहा कि ई-नीलामी से किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने में मदद मिलेगी। ई-नीलामी के तहत देश भर के व्यापारी अपनी पसंद के अनुसार कहीं से भी कृषि उत्पादों की खरीदी कर सकते हैं। इससे किसानों को अच्छा मूल्य मिलेगा। व्यापारी भी अपनी जरूरत के अनुरूप कृषि उत्पादों की खरीदी कर सकेंगे।

    ई-नीलामी से कृषि उत्पादों की विपणन व्यवस्था को विस्तार मिलेगा। राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष चंद्रशेखर साहू ने अपने उद्बोधन में केन्द्र सरकार की कृषि नीति और योजनाओं को किसानों के लिए ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बाजार व्यवस्था, वायदा कारोबार का एक विकल्प है। यह व्यवस्था किसानों, व्यापारियों, राईस मिलरों और मंडियों में काम करने वाले रेजा-हमालों के हित में हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में किसानों के लिए मंडियों में स्थायी कोष रखने की व्यवस्था की है।  

अपनी राय दें