• गरीबों के गैस चूल्हे पर हो रही राजनीति

    जांजगीर। केन्द्र सरकार द्वारा गरीब परिवारों के लिये शुरू किये उज्जवला योजना का चूल्हा इनके घरों में जले इससे पहले ही भाजपा-कांग्रेस के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के बीच जुबानी चिंगारी की आग भड़क गई है। ...

     

    गरीबों के गैस चूल्हे पर हो रही राजनीति

    जांजगीर। केन्द्र सरकार द्वारा गरीब परिवारों के लिये शुरू किये उज्जवला योजना का चूल्हा इनके घरों में जले इससे पहले ही भाजपा-कांग्रेस के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के बीच जुबानी चिंगारी की आग भड़क गई है। अकलतरा में गत शुक्रवार को आयोजित गैस कनेक्शन वितरण कार्यक्रम के दौरान तो यही देखने को मिला जहां स्थानीय विधायक विशिष्ट अतिथि बनाये जाने से नाराज कार्यकर्ता हंगामें पर उतर आये थे।

    इस घटना पर मुख्य अतिथि रही सांसद श्रीमती पाटले ने इसे जनहित के कार्यों पर बाधा डालने का आरोप मढ़ दिया शायद वे भूल गई कि कुछ दिन पूर्व जिला मुख्यालय में इसी आयोजन के दौरान मंच में लगे बैनर को लेकर उन्होंने कैसा विरोध जताया था। वैसे भी राजनीति में चिट्ट भी मेरी पट्ट भी मेरी की परिपार्टी चली आ रही है और सांसद श्रीमती पाटले ने इसी तर्ज के अनुरूप आसानी से विपक्षी विधायक पर आरोप मढ़ दिया।


    मगर जनता कितनी जागरूक हो चुकी है। इसका अंदाजा भी नेताओं को हो तो अच्छा। विदित हो कि इसी उज्जवला योजना के जिला स्तरीय गैस कनेक्शन वितरण के कार्यक्रम, जिसमें जिले के प्रभारी मंत्री अमर अग्रवाल शामिल हुए थे। इस कार्यक्रम के दौरान स्थानीय सांसद श्रीमती पाटले ने जमकर गुस्सा दिखाते हुए उपस्थित अधिकारियों को मंच में ही लताड़ लगाई थी।

    वजह सिर्फ इतना रहा कि स्टेज के पीछे लगे बैनर में उनका फोटो नहीं था। अब जब यही कार्यक्रम अकलतरा में गत शुक्रवार को आयोजित किया गया तब स्थानीय कांग्रेसी विधायक चुन्नीलाल साहू से अध्यक्षता कराने के बजाय उन्हें विशिष्ट अतिथि बना दिया गया और अध्यक्षता कलेक्टर से करायी गई। इस मुद्दे को लेकर कांगे्रसी कार्यकर्ता नाराज हो विरोध प्रदर्शन करने लगे थे। इस घटना पर सांसद ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे जनहित के कार्याे पर व्यवधान डालना निरूपित कर दिया।

    जबकि स्थानीय विधायक चुन्नीलाल साहू ने इसे प्रोटोकाल का उल्लंघन करार दिया है। इस जुबानी जंग कि चर्चा इस दिनों राजनीतिक गलियारों में खूब छिड़ी है, कहा तो यहां तक जा रहा है कि बात-बात पर गुस्सा जताने वाली सांसद को इतनी समझ कहां से आ गई जिनके कोपभाजन का शिकार राष्ट्रीय पर्व जैसे कार्यक्रम के दौरान भी अधिकारी बन चुके है। बहरहाल मुद्दा चर्चा का है, तो चर्चा तो होती रहेगी। मगर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा व बढ़ती प्रशासनिक दखलंदाजी का शिकार केवल विपक्षी नेता ही नहीं वक्त बे वक्त सत्ताधारी दल के लोगों को भी बनना पड़ रहा है, जिससे पीड़ा होना स्वभाविक ही है। 

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