एसआर मोहंती को हाई कोर्ट से राहत
जबलपुर। मध्यप्रदेश उच्चन्यायालय से प्रदेश सरकार के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एसआर मोहंती को बड़ी राहत मिली है। शिक्षण संस्थाओं को लोन बांटने में गड़बड़ी करने के आरोपों में फंसे श्री मोहन्ती के खिलाफ पिछले कई साल से अभियोजन की स्वीकृति न दिए जाने का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने पिछले आदेश के परिप्रेक्ष्य में कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति अंजुली पालो की युगलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर की गयी कार्यवाही के संबंध में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश जारी करते हुए याचिका पर अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को निर्धारित की है।
भोपाल निवासी मो. रियाजुद्दीन की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि कुछ अयोग्य शिक्षण संस्थाओं को लोन देने में आईएएस अधिकारी मोहंती ने अन्य व्याक्तियों के साथ मिलकर सरकार को करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति पहुंचाई थी, जिस पर अन्य कई लोगों समेत उनके खिलाफ अपराध पंजीबद्ध हुआ था।
मोहंती ने इसे चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके बाद हाईकोर्ट ने 19 जनवरी 2006 को उनके खिलाफ दायर एफआईआर को खारिज करने के निर्देश दिये थे। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर हुई। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2011 में हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए जांच एजेंसी को तीन माह के भीतर नये सिरे से जांच पूरी करने के आदेश दिए। इसके बाद निर्धारित समयावधि समाप्त होने के बाद से पांच वर्ष का समय गुजर जाने के बाद आईएएस अधिकारी व अन्य के खिलाफ कोई कार्रवाई न होने पर याचिकाकर्ता ने ईओडब्लू को आवेदन दिया।
जवाब में याचिकाकर्ता को बताया गया कि सरकार इस मामले में अभियोजन की स्वीकृति नही दे रही है। जिसके कारण ये जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान आईएएस अधिकारी की तरफ से बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2011 में दिए गये आदेश में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि काम के दौरान किसी अधिकारी द्वारा की गई गलती को अपराध नहीं बताया जा सकता।
याचिकाकर्ता की हैसियत को लेकर 12 जुलाई 2016 को जो आदेश पारित हुआ था, उसकी गलत व्याख्या करते हुए सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्थाओं को नजर अंदाज किया गया है, जो अवैधानिक है। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सुको के आदेश के परिपालन में की गयी कार्यवाही के संबंध में ईओडब्ल्यू से रिपोर्ट मांगते हुए आईएएस अधिकारी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं करने के निर्देश जारी किये है।