• एक धमाका हुआ और ढह गई ऐतिहासिक चिमनी

    बलासपुर। ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित ऐतिहासिक चिमनी अब शहरवासियों को कभी देखने नहीं मिल सकेगी। ...

    एक धमाका हुआ और ढह गई ऐतिहासिक चिमनी
     

    एक धमाका हुआ और ढह गई ऐतिहासिक चिमनी

    बलासपुर।  ब्रिटिश शासनकाल में निर्मित ऐतिहासिक चिमनी अब शहरवासियों को कभी देखने नहीं मिल सकेगी। कभी शहर को बिजली आपूर्ति करने वाले तोरवा पॉवर हाऊस की इस चिमनी को आज जिला प्रशासन ने विस्फोट विशेषज्ञों की मददसे ढहा दिया। इस दौरान आज वहां लोगों की काफी भीड़ एकत्र थी। ज्ञात हो कि सन् 1890 में तोरवा पॉवर हाऊस का निर्माण अंग्रेजों ने करवाया था।

    चिमनी को गिराने में विशेषज्ञों को एक घंटे लग गए। तीसरे प्रयास में चिमनी गिरी। पॉवर हाउस की चिमनी को धरोहर के रुप में देखा जा रहा था लेकिन पिछले 15 सालों में तीन बार इस चिमनी में बिजली गिरने से हादसे की आशंका थी और प्रशासन ने आज इस 125 बरस पुरानी चिमनी को ढहा दिया। कड़ी सुरक्षा के बीच तकनीकी रुप से ब्लास्टिंग की गई।

    1890 में अंग्रेज शासनकाल में तोरवा पॉवर हाउस का निर्माण किया गया था। इसी समय इस चिमनी की 120 फीट ऊंची चिमनी का निर्माण किया गया था। कटनी की अमरनाथ नाम की कंपनी ने पॉवर हाउस में चिमनी का निर्माण किया था। उस समय बिजली विभाग के तत्कालीन सचिव दयालबंद के त्रिहान परिवार के सदस्य हुआ करते थे।

     त्रिहान की मौजूदगी में 120 फीट ऊंची चिमनी का निर्माण किया गया था लेकिन 1975 के बाद बिजली उत्पादन के क्षेत्र में नई तकनीक आने के बाद पॉवर हाउस से बिजली का उत्पादन बंद हो गया और पॉवर हाउस में बिजली दफ्तर का संचालन होने लगा। 1984 से लेकर 2010 के बीच कई बार इस चिमनी में बिजली गिरी और ऊपर का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। तत्कालीन कलेक्टर व एसडीएम ने 10 साल पहले पॉवर हाउस की चिमनी को ब्लास्ट करने का फैसला लिया था। जिस पर आज अमल हुआ।  बताया जाता है कि ब्लास्टिंग के लिए एसईसीएल माइंस के खदान के इंजीनियर व विशेषज्ञों की मदद प्रशासन ने ली।


    यहां पर सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया था। बिजली दफ्तर में किसी प्रकार की जनहानि न हो इसके लिए चारों ओर घेराबंदी की गई। 3 बजे से चिमनी में ब्लास्टिंग की कार्रवाई की गई। रायपुर की कंपनी ड्रिलिंग एण्ड ब्लास्टिंग इंजीनियर्स के बलजेंदर सिंह ग्रेवाल ने अपनी टीम के साथ चिमनी गिराने की प्रक्रिया पूरी की। वे अपने विशेषज्ञों को लेकर सुबह से तोरवा पॉवर हाउस पहुंचे। अधिकारियों की मौजूदगी में चिमनी में बारुद भरा गया और विस्फोट कर चिमनी गिराई गई।

    चिमनी को गिराने में 35 किलो बारुद का उपयोग किया गया। इसके लिए पहले प्रशासन ने निविदा की कार्रवाई की थी और 8 लाख रूपए में रायपुर की कंपनी को चिमनी गिराने का ठेका दिया गया था। इसके पहले कुछ अलग-अलग तरीके से चिमनी को गिराने की कोशिश की जा रही थी। ज्ञात हो कि 1935 से लेकर 1965 तक इस शहर में तोरवा से लेकर कलेक्ट्रेट तक मुख्यमार्ग में तोरवा पॉवर हाउस से शहर में चौक-चौराहों पर लगे लैंप रोशन हुआ करते थे।

    बाद में बड़ी कंपनियों के आने के बाद घरों में बिजली पहुंची और धीरे-धीरे पॉवर हाउस से बिजली का उत्पादन बंद हो गया। ऐतिहासिक चिमनी को धरोहर के रुप में रखा गया था। यहां के कुद समाजसेवी भी चिमनी को गिराने के पक्ष में नहीं थे लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से आज प्रशासन ने चिमनी को गिरा दिया।

अपनी राय दें