• पुरस्कार की राशि कम मुखबिरों को सूचना देने में रूचि नहीं

    बिलासपुर। लगातार बढ़ते वन अपराधों पर वन विभाग नियंत्रण करने में असफल है। मुखबिर भी सूचना देने में रूचि इसलिए नहीं लेते क्योंकि राशि बहुत कम दी जाती है। ...

    पुरस्कार की राशि कम मुखबिरों को सूचना देने में रूचि नहीं
    पुरस्कार की राशि कम मुखबिरों को सूचना देने में रूचि नहीं

    बिलासपुर। लगातार बढ़ते वन अपराधों पर वन विभाग नियंत्रण करने में असफल है। मुखबिर भी सूचना देने में रूचि इसलिए नहीं लेते क्योंकि राशि बहुत कम दी जाती है। मुखबिर तंत्र मजबूत नहीं होने के कारण ही वन अपराध लगातार बढ़ रहे है। क्योंकि वन उड़न दस्ता टीम द्वारा अब तक 80-90 फीसदी कार्रवाई मुखबिर की सूचना पर ही की गई है।जंगलो के भीतर तस्करी व अन्य अपराध लगातार बढ़ते जा रहे है।


    पिछली कार्रवाई को देखा जाए तो सोनबंधा, कोटा, खुटिया, मुंगेली व रतनपुर क्षेत्र में वन विभाग ने कई बड़े मामले पकड़े है, यह सब मुखबिर की सूचना से ही संभव हो पाया है। जानकारों की माने तो यदि मुखबिरों के पुरस्कार की राशि बढ़ा दी जाए तो वन अपराधों में नियंत्रण किया जा सकता है। मुखबिरों को पुरूस्कार राशि भारतीय वन अधिनियम के तहत दी जाती है। हालांकि इसमें संशोधन कर बढ़ोत्तरी की गई है, लेकिन फिर भी मुखबिरों को पहले की अपेक्षा सूचना देने में रूचि नहीं रह गई है। 

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