0 सिटी बस से कुचल गया था छात्रा का दायां पैर 0 ट्रामा में डा. नाथ की टीम का सफल प्रयास
कोरबा ! भारी भरकम सिटी बस के पहिया तले जब अनिता का दायां पैर कुचला गया तब उसे इस बात का भय रह-रह कर सता रहा था कि वह अब अपने पैर पर नहीं चल सकेगी। उसे जीवनभर नि:शक्तता का दंश झेलना पड़ेगा, आर्थिक तंगी भी उसके ईलाज में बाधा बन सकती है। अनिता की यह चिंता तब निर्मूल साबित हो गई जब सह्दयी लोगों ने मदद की और ट्रामा में डा. नाथ की टीम ने एक माह में 4 बार सफल आपरेशन कर पैर का पंजा कटने से बचा लिया।
बालको के चेकपोस्ट में रहने वाले कपूरलाल की 19 वर्षीया पुत्री अनिता बरेठ शासकीय स्नात्कोत्तर महाविद्यालय में बीए प्रथम वर्ष की छात्रा है। 8 सितंबर को सिटी बस से उतरते समय अचानक बस के चल पडऩे से उसका दायां पैर का पंजा टायर से कुचल गया। उसे स्थानीय लोगों की मदद से ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया। छात्रा और उसके परिजन इस बात से सशंकित और भयभीत होते रहे कि पंजा काटना पड़ जाएगा। यहां अस्थि रोग विशेषज्ञ डा. शतदल नाथ के द्वारा इस चुनौतीपूर्ण ईलाज की प्रक्रिया शुरू की गई और अंतत: एक माह बाद सफलता मिली। आपरेशन में एनेस्थिसिया डा. वान्या शुक्ला, सहायक विकास, चन्द्रशेखर, प्रफुल्ल, नर्स अथिरा ने महत्वपूर्ण सहयोग दिया।
तीन ऊंगलियों को छोड़ पूरा पंजा चूर-चूर
छात्रा अनिता के पैर का पंजा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। मांस उखडऩे के साथ ही हड्डियां भी कई टुकड़ों में बंट चुकी थी। सिर्फ आखिरी की तीन ऊंगलियां ही सही सलामत दिख रही थी। डा. नाथ ने बताया कि चूंकि हड्डियां पूरी तरह बिखर चुकी थी इसलिए के-रॉड की मदद से हड्डियों को जोड़ा गया। इसके बाद खराब मांसपेशियों को निकालकर स्पेशल ड्रेसिंग करते हुए स्किन ग्राफ्ट तकनीक से जांघ की चमड़ी निकालकर पंजे में बिठाया गया। रक्त नलियों को व्यवस्थित करने के साथ ही रक्त दौरा बढ़ाने के लिए दवाईयां दी गई। एक महीने के भीतर कुल 4 ऑपरेशन अलग-अलग समय में किये गए। और इस तरह अनिता बरेठ का पंजा कटने से बचा लिया गया। हालांकि अंगूठा और तर्जनी दोबारा नहीं लगाया जा सका, किन्तु तीन ऊंगलियां सलामत हैं।
मदद के लिए बढ़े हाथ
अनिता और उसके परिवार वालों को यह भी चिंता थी कि ईलाज में काफी खर्च आएगा तो वे इसकी व्यवस्था कहां से करेंगे? लेकिन यह चिंता सह्दयी लोगों ने दूर की। अनिता के सहपाठियों सहित कालेज छात्रों ने अपने स्तर पर आर्थिक मदद दी। डा. नाथ ने भी यथासंभव दवाईयों में सहयोग किया। उनकी मां श्रीमती शशि नाथ ने भी हाथ बढ़ाया और अपने बेटे डा. नाथ से यह इच्छा भी जताई की हर हाल में इस बच्ची को ठीक किया जाए। डा. नाथ ने नगर के समाजसेवियों से आग्रह किया है कि छात्रा के उपचार में वे भी यथासंभव सहयोग करें। फिलहाल ट्रामा सेंटर के जनरल वार्ड में बेड क्र.1 में अनिता स्वास्थ्य लाभ ले रही है।
पैर काटना ही विकल्प नहीं-नाथ
डा. शतदल नाथ ने कहा है कि इस तरह के मामलों में पैर काटना ही विकल्प नहीं है बल्कि मरीज और उसके परिजनों को धैर्य रखना चाहिए। ट्रामा सेंटर में ऐसे ईलाज और जटिल सर्जरी की आधुनिक सुविधाएं हैं। महानगरों में महंगे ईलाज की तुलना में अपने ही शहर में सस्ता और सुलभ उपचार मुहैय्या कराया जा रहा है। इससे पहले भी कई पेचिदा अस्थिरोगों का सफल ईलाज उनके द्वारा किया जा चुका है।