कर्नाटक: SC/ST महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में वृद्धि
बेंगलुरु। कर्नाटक में साल 2015 में अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के मामलों में 189 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गयी है। कर्नाटक में साल 2015 में एससी/एससी अधिनियम(अत्याचार निवारण) 1989 की स्थिति पर किये एक विस्तृत अध्ययन के अनुसार दलित समाज में महिलाओं के खिलाफ आश्चर्यजनक ढंग से अत्याचार के मामलों में वृद्धि दर्ज की गयी है1
राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति निगरानी और सुदृढ़ीकरण समिति(सीएमएएसके) ने कर्नाटक दलित महिला वेदिके(केडीएमवी) के साथ मिलकर इस मामले में अध्ययन कर यह जानकारी उजागर की। इस संबंध में यहां कल जारी रिपोर्ट में सीएमएएसके और केडीएमवी की राज्य संयोजक सुश्री पी यशोदा ने कहा कि साल 2015 में एससी और एससी साथ अत्याचार के 2037 मामले दर्ज किये गये जिसका मतलब एससी या एसटी के साथ हर पांच घंटे में अत्याचार की एक घटना होती है।
हर पांच दिन में एक हत्या(कुल 69 हत्या),हर दूसरे दिन एससी या एसटी महिलाअों के साथ बलात्कार(कुल 171) की घटनायें होती है। एससी महिलाओं के साथ 2014 के(75 से 123) के मुकाबले साल 2015 में बलात्कार के मामले में 64 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी और इसी मामले एसटी महिलाओं के खिलाफ साल 2014 के मुकाबले 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी।
उन्होंने बताया कि बलात्कार के मामले में कुल 189 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी है। 2014 में 91 मामले दर्ज किये गये थे जबकि अगले साल 171 मामले दर्ज किये गये। एससी के खिलाफ गंभीर मामलों में 64 प्रतिशत की वृद्धि जबकि एसटी के साथ इस मामले में 130 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। अन्य मामलों में भी एससी/एसटी के खिलाफ 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। उन्होंने कहा कि यह बढ़ोत्तरी दुखद है और राज्य में अत्याचार निवारण अधिनियम को ठीक से लागू करना चाहिये।
एससी/एसटी के खिलाफ अत्याचार के बढ़े मामलें बेंगलुरु शहरी(144),गुलबुर्गा और रायचूर(दोनों जगह 116),बेंगलुरु ग्रामीण(99),बेलगावी(94)में दर्ज किये गये हैं। गत चार सालों में बेंगलुरु शहरी में सबसे ज्यादा अपराध के मामले दर्ज किये गये हैं। बलात्कार का शिकार हुयी एससी/एसटी महिलाओं काे दी गई राहत से जुडे आंकडाें के अनुसार बलात्कार का शिकार हुयी 136 महिलाओं राहत प्रदान की गयी है।