• जनदर्शन में आने वाले कार्रवाई न होने से निराश

    मुंगेली ! ग्रामीणों की सुविधा के लिए शुरु किए गए जनदर्शन से ग्रामीणों को कोई लाभ मिलते दिखाई नहीं दे रहा है आलम ये कि एक अदद काम के लिए ग्रामीण दो-दो साल से चक्कर काट रहे हैं...

    मुंगेली !   ग्रामीणों की सुविधा के लिए शुरु किए गए जनदर्शन से ग्रामीणों को कोई लाभ मिलते दिखाई नहीं दे रहा है आलम ये कि एक अदद काम के लिए ग्रामीण दो-दो साल से चक्कर काट रहे हैं जनदर्शन का पावती और शिकायतों की कॉपी लगातार बढ़ती जा रही है । काम नहीं हो पा रहा है फरियादी लगातार कलेक्टोरेट परिसर का चक्कर काट रहे हैं। आज कलेक्ट्रेड कक्ष में जनदर्शन के लिए उपस्थित मात्र 14 लोगों से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि कलेक्ट्रेड जनदर्शन से लोगों का विश्वास उठने लगा है। जनदर्शन के नाम पर कलेक्ट्रेड में केवल औपचारिकताएं ही निभाई जा रही है। कलेक्ट्रेड सभा में आयोजित आज के जनदर्शन में मात्र अतिरिक्त कलेक्टर शरीफ मोहम्मद एवं सहायक आयुक्त आदिवासी विकास की अधिकारी ही उपलब्ध थे। ग्रामीणों व शहरवासियों को लुभाने के लिए राज्य शासन ने अपनी तरह की अनोखी पहल की शुरूआत की थी इसके तहत प्रदेशभर के जिला कलेक्टरों को कलेक्टर परिसर में जनदर्शन लगाने और आने वाले ग्रामीणों व शहरवासियों की समस्याओं को सुनने और निदान का फरमान जारी किया था इसके पीछे सरकार के प्रति ग्रामीणों का गुस्सा कम करना और कामकाज के प्रति विश्वास दिलाना माना गया था सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के तहत प्रदेशभर के कलेक्टरों ने जनदर्शन की शुरुआत की थी। कुछ दिनों तक यह जोर शोर से चला बीच मे कुछ दिनों के लिए इसे बंद कर दिया गया सीएम के निर्देश पर बीते चार महीने से एक बार फिर जनदर्शन की शुरूआत की गई थी शुरूआती दिनों में कलेक्टोरेट परिसर में ग्रामीणों की भारी भीड़ हुआ करती थी। परिसर फरियादियों से खचाखच भरा रहता था आलम ये कि कलेक्टोरेट सभाकक्ष के बाहर लोगों को कतार लगानी पड़ती थी तब कलेक्टर सहित विभिन्न विभागों के आला अफसर भी मौजूद रहते थे लोगों की समस्याएं सुनने में कलेक्टर को तीन से चार घंटे लगता था तब सिस्टम बना हुआ था जिस विभाग की समस्या लेकर ग्रामीण आते थे कलेक्टर संबंधित विभाग के अधिकारी को तलब कर आवेदन थमा देते थे समय के साथ व्यवस्था भी बदल गई थी कुछ माह पूर्व आलम ये था कि जनदर्शन के दौरान में अफसरों के लिए लगाई गई कुर्सियां खाली रहती थी। गिनती के अधिकारी बैठते थे। फरियाद लेकर आने वाले ग्रामीणों की आस अफसरशाही और बाबूगीरी की भेंट चढऩे लगी थी। जिसके चलते जनदर्शन में भीड़ भी अब कम होने लगी थी। कलेक्क्ट्रेड सभा कक्षा में आयोजित जनदर्शन में मात्र 14 आवेदन प्राप्त हुए जिनमें से बरमपुर निवासी हरी प्रसाद पिता फूलराम ने बताया कि अपनी समस्याओं को लेकर व अब तक 6 बार आवेदन दे चुका है। किन्तु कार्यवाही नही हुई है। फरहदा की श्रीमति त्रिवेणी पति विजेन्द्र कुमार ने बताया आज वह तीसरी बार आवेदन देने कलेक्ट्रेड पहुंची है। जनदर्शन में आवेदन देने के बाद भी कार्यवाही के लिए चक्कर लगाने पड़ रहे है। आज प्राप्त हुए अधिकांश आवेदनों में ग्रामीणों ने राजस्व संबंधी शिकायत लेकर आए थे राशन कार्ड की समस्या शुरूआत से बनी हुई है। जनदर्शन में समस्याएं लेकर पहुंचे ग्रामीण जनदर्शन में प्राप्त होने वाले आवेदनों पर गंभीरता के साथ विचार किया जा रहा है संबंधित विभाग को आदेशित भी किया जा रहा है। किन्तु अधिकारियों कि लापरवाही के चलते फरियादीयों की सुनवाई नही हो रही है। समय सीमा तय करने के बाद भी कलेक्टर के आदेश का अमल नही हो पा रहा है। जनदर्शन में पहुंचे जल्ली निवासियों ने भरूवागुड़ा में ट्रांसफार्मर के लिए लगभग तीन बार जनदर्शन में अपने आवेदन दिये है। किन्तु अभी तक कार्यवाही नही हो पाई है। खुजहा निवासी कुवारू प्रसाद ने बताया कि दो बार अपने आवेदन जमा किये गरीबी रेखा में नाम होने के बाद भी उसके काम नही हो पा रहा है। लक्ष्मीनारायण के अनुसार मुख्यमंत्री जनदर्शन में आवेदन देने के बाद भी सुनवाई नही हुई है। शिवप्रसाद, धनशाय बिजराकापा खुर्द निवासी ने बताया कि उसके घर में आग लग गया था। जिसके लिए उसने तीन बार जनदर्शन में अपने आवेदन लगाये है। किन्तु सुनवाई नही की जा रही है। रावणभाटा निवासी धनेश कोशले ,उदल ,छवीराम, धनशाय ने बताया कि इंदिरा आवास के लिए आवेदन दिया है। तीन बार जनदर्शन में पहुंच चुके है । फिर भी कार्यवाही नही हो रहे है। मुंगेली निवासी संतोष पाठक ने बताया कि जनदर्शन के माध्यम से उसने राजस्व मामले को लेकर जनदर्शन के माध्यम से गुहार लगाई है। किन्तु कलेक्टर के आदेश के बाद भी अधीनस्थ अधिकारी फरियाद नही सुनते है। लगभग 5-7 बार जनदर्शन में आवेदन देने के बाद भी इंसाफ के लिए भटकना पड़ रहा है। प्रशासनिक कार्यों को प्राथमिकता जनदर्शन में प्रसाशनिक कार्यो को प्राथमिकता दी जाती है। न्यायिक प्रकिया को निपटाने में अड़चने आती  है। आवेदनों पर कार्रवाई की जायेगी। प्रकिया में देर जरूर होते है। शरीफ  मोहम्मद अतिरिक्त कलेक्टर मुंगेली


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