• तमनार क्षेत्र में कोल सत्याग्रह आज,किसान दफ्तरों में डंप करेंगे कोयला

    रायगढ़ ! तमनार ब्लाक के गारे गांव में कोयला सत्याग्रह की तैयारी शुरू हो चुकी है। किसानों की बैठकों का दौर लगातार जारी है...

    रायगढ़ !   तमनार ब्लाक के गारे गांव में कोयला सत्याग्रह की तैयारी शुरू हो चुकी है। किसानों की बैठकों का दौर लगातार जारी है। मिल रही सूचना के अनुसार इस बार दो अक्टूबर के कोयला सत्याग्रह के बाद किसान खोदे गए कोयले को साइकिल और बैलगाड़ी में परिवहन कर शासकीय अधिकारियों के दफ्तरों में डंप करेंगे। किसानों का कहना है कि साल 2012 से लगातार हमारी जमीन हमारी कोयला की मांग को उठाया जा रहा है। लगातार आंदोलन किया जा रहा है, कलेक्टर से लेकर राष्ट्रपति तक को ज्ञापन दिया जा रहा है और अपनी मांग के विषय में संवैधानिक अधिकारों का हवाला देते हुए इस अधिकार की मांग की जा रही है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसे में जहां साल 2015 में गारे सहित 25 गांव के किसानों ने लगातार खोदने का कार्य किया। वहीं इस साल खोदे गए कोयले को साइकिल और बैलगाड़ी में ढोकर अधिकारियों के कार्यालय में डंप किया जाएगा ताकि किसानों की मांग और उनकी आवाज को सुनी जाए। इस साल दो अक्टूबर को आयोजित कोयला सत्याग्रह में 12 राज्य के सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक संगठनों के लोग शिरकत करेंगे। गारे गांव के किसान इस सत्याग्रह की तैयारी में जुट गए हैं। किसानों ने बताया कि इस बार के कोयला सत्याग्रह के लिए आंध्र प्रदेश से समता जजमेंट से सुर्खियों में आए सामाजिक कार्यकर्ता रवि रेब्बा परगड़ा विशेष रूप से यहां पहुंच रहे हैं। इसके अलावा इन्वायरमेंट ट्रस्ट से श्रीधर, हिमालय बचाओ आंदोलन से सुर्खियों में आए हिमाचलप्रदेश के गुमान सिंह, एमनेस्टी के कार्यकर्ता, झारखंड से संतोष उपाध्याय, मध्यप्रदेश के पन्ना से युसुफ बेग, ओडिशा सहित अन्य राज्यों के लोग इस आंदोलन में शिरकत करेंगे। नहीं दे रहे अधिकार गारे गांव के किसानों का कहना है कि पिछले पांच साल से संवैधानिक अधिकारों के तहत हम चिल्ला रहे हैं पर सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। किसानों ने बताया कि संवधिान की धारा 39 बी जिसमें नीति निर्देशक तत्वों की बात कही जाती है उसमें स्पष्ट कहा गया है कि देश के भौतिक संसाधनों पर पहला हक समुदाय का है। इसके बाद 8 जुलाई 2013 के फैसले में तीन बेंच के जजों ने कहा है कि जमीन के अंदर के खनिज का मालिक भू-स्वामी है। इसके बाद भी सरकारें खनिज  संसाधनों का मालिक बन बैठी हैं। हम अपना हक सरकार से लेकर रहेंगे। किसानों ने बनाई है पावर कंपनी विदित हो कि गारे सहित अन्य गांव के किसानों ने अपनी पावर कंपनी का रजिस्टे्रशन करवा लिया है। जिसमें इनकी ओर से खुद का पावर प्लांट खोलने की बात कही जा रही है। गारे ताप विद्युत उपक्रम लिमिटेड नाम से बनी इस कंपनी को कई किसानों ने अपनी जमीन भी दे दी है। अब किसान इस पावर कंपनी के लिए कोयले के खदान की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि खदान से सरकार को केवल रायल्टी मिलती है, वह हम भी देने को तैयार हैं इसके बाद भी सरकार हमारे हक को दबा रही है। सरकार उनकी बात नहीं सुन रही-सविता पिछले पांच सालों से किसान हमारी जमीन हमारा कोयला की मांग कर रहे हैं, इसके बाद भी सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है। इस बार दो अक्टूबर को किसान खोदे गए कोयले को अधिकारियों के आफिस में डंप करेंगे और कोयले के रायल्टी आकलन की मांग करेंगे ताकि वो उसे पटा सकें और अपनी जमीन के कोयले को बेच सकें।


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