• दो महिलाओं ने दावा किया है कि वे पहली महिला काजी हैं, विरोध में मुस्लिम संगठन

    जयपुर । राजस्थान में दो महिलाओं ने दावा किया है कि वे पहली महिला काजी हैं। उनके मुताबिक अब वे एक काजी के तौर पर निकाह भी पढ़ सकती हैं। महिलाओं के इस दावे को लेकर विवाद शुरू हो गया है। उलेमा ने तर्क दिए हैं कि महिलाएं काजी बन ही नहीं सकतीं।जयपुर में चार दरवाजा निवासी जहां आरा और बास बदनपुरा निवासी अफरोज बेगम ने खुद के काजी होने का दावा किया है। दोनों ने बताया कि वे मुंबई के दारुल उलूम निस्वान से भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन के तहत दो साल का महिला काजी प्रशिक्षण लेकर लौटी हैं। उनके मुताबिक प्रशिक्षण के बाद वे निकाह पढ़ सकती हैं।...

    जयपुर । राजस्थान में दो महिलाओं ने दावा किया है कि वे पहली महिला काजी हैं। उनके मुताबिक अब वे एक काजी के तौर पर निकाह भी पढ़ सकती हैं। महिलाओं के इस दावे को लेकर विवाद शुरू हो गया है। उलेमा ने तर्क दिए हैं कि महिलाएं काजी बन ही नहीं सकतीं।जयपुर में चार दरवाजा निवासी जहां आरा और बास बदनपुरा निवासी अफरोज बेगम ने खुद के काजी होने का दावा किया है। दोनों ने बताया कि वे मुंबई के दारुल उलूम निस्वान से भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन के तहत दो साल का महिला काजी प्रशिक्षण लेकर लौटी हैं। उनके मुताबिक प्रशिक्षण के बाद वे निकाह पढ़ सकती हैं।


    तलाक के मामले भी देख सकती हैं। उन्होंने बताया कि तलाक जैसे मामलों को नजदीक से जानने के लिए और महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने यह प्रशिक्षण लिया। हालांकि अजमेर की दरगाह ख्वाजा साहब में दारुल उलूम मोइनिया उस्मानिया के सदर मुदर्रिस मुफ्ती बशीरुल कादरी ने इस पर आपत्ति दर्ज करवाई है।

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