• 'आतंकवाद के लिए सहिष्णुता का पर्दाफाश होना जरूरी'

    जयपुर । विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि वैश्विक खतरा बन चुके आतंकवाद से निपटने के लिए यह जरूरी है कि उन तत्वों का पर्दाफाश किया जाए जो इसके प्रति सहिष्णुता दिखाते हैं। जयशंकर ने यह बात यहां आतंकवाद रोधी सम्मेलन में कही। सम्मेलन का आयोजन इंडिया फाउंडेशन ने जोधपुर स्थित सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दांडिक न्याय विश्वविद्यालय के सहयोग से किया।...

    विदेश सचिव ने कहा, आतंकवाद से निपटने के लिए यह जरूरी है कि उन तत्वों का पर्दाफाश किया जाए

    जयपुर । विदेश सचिव एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि वैश्विक खतरा बन चुके आतंकवाद से निपटने के लिए यह जरूरी है कि उन तत्वों का पर्दाफाश किया जाए जो इसके प्रति सहिष्णुता दिखाते हैं। जयशंकर ने यह बात यहां आतंकवाद रोधी सम्मेलन में कही। सम्मेलन का आयोजन इंडिया फाउंडेशन ने जोधपुर स्थित सरदार पटेल पुलिस, सुरक्षा एवं दांडिक न्याय विश्वविद्यालय के सहयोग से किया। उन्होंने कहा, "हम अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते (सीसीआईटी) के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन, इससे पहले हम कई अंतरिम उपाय कर सकते हैं। इनमें से एक प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचाना है। हमें आतंकवाद के मुजरिमों, इसके समर्थकों को बेपर्दा कर इन्हें शर्मिदा करना लगातार जारी रखना चाहिए। इस मुद्दे पर सहिष्णुता के दोहरे मानदंड का समान रूप से पर्दाफाश करना चाहिए।" जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का विरोध भारतीय कूटनीति की प्राथमिक अनिवार्यता है। उन्होंने कहा, "खुफिया सहयोग और राष्ट्रीय क्षमताओं को बनाने के मामले में कूटनीति की भूमिका को बढ़ा चढ़ाकर नहीं कहा जा सकता। हमने कई देशों से इन मामलों में व्यावहारिक सहयोग के लिए रिश्ते बनाए हैं।" सीसीआईटी के बारे में उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में अंतर्राष्ट्रीय समझौते का विचार दो दशक पुराना है। लेकिन, अब जाकर इसे गंभीरता से लिया जा रहा है जब आतंक की यह बीमारी अधिक खतरनाक लगने लगी है। उन्होंने कहा कि सीसीआईटी में एक बेहद महत्वपूर्ण प्रावधान यह भी है कि इसमें ऐसी गैरकानूनी और जान बूझकर की गई हिंसात्मक गतिविधियों की सूची शामिल है जिसे सभी संबद्ध देशों को अपने घरेलू कानूनों में बतौर अपराध शामिल करना होगा। उन्होंने सीसीआईटी के इस प्रस्तावित प्रावधान के बारे में कहा, "सभी संबद्ध पक्षों को यह सुनिश्चित करना होगा कि ये आपराधिक कृत्य किसी भी राजनैतिक, दार्शनिक, वैचारिक, जातीय, नस्ली, धार्मिक और ऐसे ही अन्य आधारों पर जायज नहीं ठहराए जाएंगे।


    सभी संबद्ध पक्षों के लिए अनिवार्य होगा कि वे इन अपराधों को होने देने के लिए अपने यहां प्रशिक्षण शिविरों की स्थापना नहीं होने देंगे।"उन्होंने कहा कि इसके तहत यह अनिवार्य होगा कि जिस क्षेत्र में अपराधी है, वहां की सरकार को बिना किसी देर के इस मामले को सक्षम प्राधिकारियों के सामने पेश कर मुकदमा चलाना होगा।

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