• चरखारी में कम नहीं उमा की चुनौतियां

    मध्य प्रदेश की राजनीति में 'हिट विकेट' होने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्टार नेता उमा भारती ने अपनी नई पारी शुरू करने के लिए बुंदेलखण्ड की चरखारी विधानसभा सीट को चुना है। लेकिन यह पिच इस बार उनके लिए बड़ी उछाल वाली भी साबित हो सकती है। ऐसा इसलिए कि यहां उन्हें जातिगत समीकरणों की उलझन से रास्ता निकालना होगा क्योंकि ये समीकरण किस ओर उछाल लेंगे इसका अंदाजा यहां के दिग्गज भी आज तक नहीं लगा पाए हैं। ...

    महोबा | मध्य प्रदेश की राजनीति में 'हिट विकेट' होने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्टार नेता उमा भारती ने अपनी नई पारी शुरू करने के लिए बुंदेलखण्ड की चरखारी विधानसभा सीट को चुना है। लेकिन यह पिच इस बार उनके लिए बड़ी उछाल वाली भी साबित हो सकती है। ऐसा इसलिए कि यहां उन्हें जातिगत समीकरणों की उलझन से रास्ता निकालना होगा क्योंकि ये समीकरण किस ओर उछाल लेंगे इसका अंदाजा यहां के दिग्गज भी आज तक नहीं लगा पाए हैं। चरखारी बुंदेलखण्ड की प्रमुख प्राचीन रियासतों में से एक है। इसकी पहचान विकास व समृद्धि के प्रतीक के रूप में रही है। इसे बुंदेलखण्ड का कश्मीर भी कहा जाता है। आकर्षक किला यहां की समृद्धि की कहानी सुनाता है तो तालाबों की श्रंखला यहां विकास की गाथा गाते हैं। तालाब कुछ इस तरह से बनाए गए हैं कि पानी एक तालाब से दूसरे में जाता रहता है। यही कारण है कि पूरे बुंदेलखण्ड में भले ही सूखे की मार रहे, लेकिन यह इलाका इससे अछूता रहता है। चरखारी की गिनती प्रगतिशील रियासतों में होती रही है। बुंदेलखण्ड में इसे ऐसी रियासत के रूप में देखा जाता है, जहां सत्ता और प्रजा के बीच नजदीकियां रही हैं। माना यह भी जाता है कि जिसने चरखारी को जीत लिया उसने बुंदेलखण्ड को जीत लिया। यही कारण है कि उमा ने भी चरखारी को चुना, ताकि वह अपनी वापसी का बड़ा संदेश दे सकें।इस फैसले से पहले उमा ने चरखारी के साथ-साथ बवीना और मुरमरा विधानसभा क्षेत्र का भी सर्वेक्षण कराया था। ये तीनों विधानसभा क्षेत्र लोध बहुल वाले हैं, लेकिन उमा को लगा कि चरखारी उनके लिए सबसे बेहतर सीट रहेगी। यह विधानसभा क्षेत्र पिछले 40 वर्षो से आरक्षित रहा है और नए परिसीमन के बाद सामान्य हो गया। पिछले चुनावों पर नजर डालें तो पता चलता है कि भाजपा यहां से सिर्फ एक बार जीती है।चरखारी विधानसभा क्षेत्र पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि यह सीट किसी एक दल के कब्जे में नहीं रही है। यहां से कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) को भी जीत मिली है। इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उमा भारती के लिए यह चुनाव जीतना आसान रहेगा।यहां के लगभग तीन लाख मतदाताओं में से 63 हजार वोट लोध जाति के मतदाताओं के हैं, पिछड़ा वर्ग के अन्य जातियों के भी 55 हजार से अधिक मतदाता हैं। यहां करीब 25 हजार मुस्लिम मतदाता भी हैं। यदि लोध वोट का ध्रुवीकरण उमा के पक्ष में होता है तो मुस्लिम उमा के विरोध में जा सकते हैं।उमा को इस लिहाज से भी चुनौती मिल सकती है कि लोध जाति के दो अन्य उम्मीदवार भी यहां चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। भाजपा हालांकि उमा की जीत का दावा कर रही है। पार्टी के स्थानीय पदाधिकारी योगेश मिश्र ने कहा, "उमा बुंदेलखण्ड में लोकप्रिय हैं, चरखारी में उनका बचपन से आना-जाना रहा है। चरखारी सीट पर उनके चुनाव लड़ने से भाजपा को अन्य स्थानों पर भी लाभ मिलेगा।"

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