• विस नेता प्रतिपक्ष ने मंत्री केदार व अजय चन्द्राकर को भेजा नोटिस

    रायपुर ! आउट सोर्सिंग मामले में बस्तर-सरगुजा विकास प्राधिकरण की बैठक में कांगे्रस विधायकों द्वारा समर्थन किए जाने की गलत जानकारी देने पर नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने आज मंत्री केदार कश्यप व अजय चन्द्राकर को कानूनी नोटिस भेजा है। आधारहीन आरोप लगाने पर तीन दिनों के भीतर दोंनों मंत्रियों से क्षमा मांगने कहा गया है।...

    रायपुर !   आउट सोर्सिंग मामले में बस्तर-सरगुजा विकास प्राधिकरण की बैठक में कांगे्रस विधायकों द्वारा समर्थन किए जाने की गलत जानकारी देने पर नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने आज मंत्री केदार कश्यप व अजय चन्द्राकर को कानूनी नोटिस भेजा है। आधारहीन आरोप लगाने पर तीन दिनों के भीतर दोंनों मंत्रियों से क्षमा मांगने कहा गया है। अन्यथा धारा 499 के तहत सिविल व अपराधिक मानहानि का मामला दर्ज किया जाएगा। इसमें अधिकतम दो वर्ष तक की कारावास हो सकती है। श्री सिंहदेव ने कहा है कि आउट सोर्सिंग के मामले में जानबूझकर कांग्रेस विधायकों की छवि धूमिल करने बयान दिया गया है। नेता प्रतिपक्ष श्री सिंहदेव ने अपने वकील नीलम दुबे के जरिए दोनों मंत्रियों को नोटिस भिजवाया है, जिसमें कहा गया है उन्होंने 4 अक्टूबर को रायपुर में पत्रकार वार्ता के दौरान उनके द्वारा  प्राधिकरणों की बैठक में कांग्रेस विधायकों द्वारा निजी प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा शिक्षकों की भर्ती आउट सोर्सिंग से करने के सरकारी प्रस्ताव का समर्थन किया है। वे स्वयं सरगुजा और उत्तर  क्षेत्र आदिवासी विकास प्राधिकरणों की बैठकों में मौजूद रहे, लेकिन आउट सोर्सिंग कभी भी विषयसूची का अंग नहीं रहा। बैठक में इस पर चर्चा भी नहीं हुई। ऐसे आपत्तिजनक प्रस्ताव को प्राधिकरण की बैठक में मेरे या किसी भी कांग्रेस विधायक द्वारा समर्थन देने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने कहा कि बस्तर  और सरगुजा के कांग्रेस विधायकों के साथ-साथ वे खुद और सभी कांग्रेस विधायक शिक्षकों की भर्ती के बजाए, आउट सोर्सिंग के किसी भी प्रस्ताव के खिलाफ हैं। सार्वजनिक मंच पर भी उन्होंने इसका विरोध किया है। मंत्रियों के द्वारा कांग्रेस विधायकों द्वारा आउट सोर्सिंग के समर्थन में बयान देकर जो आरोप लगाया है, वह पूरी तरह झूठ है। इससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। ऐसा जानबूझकर किया गया है। उन्होंने तत्काल इस बयान को वापस लेने के लिए कहा है। साथ ही आधारहीन आरोप लगाने के लिए मीडिया के माध्यम से क्षमायाचना के लिए कहा गया है। क्षमायाचना नहीं करने पर धारा 499 के तहत सिविल और क्रिमिनल मानहानि का दावा किया जाएगा। जिस पर दो वर्ष तक कारावास की सजा हो सकती है।


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