• ड्रग ट्रायल की जानकारी न देने पर 7 चिकित्सकों पर जुर्माना

    भोपाल ! अभी तक राज्य सूचना आयोग आवेदक को जानकारी न देने पर लोक सूचना अधिकारी के खिलाफ जुर्माना या क्षतिपूर्ति दिलाकर उसे राहत प्रदान करता था। लेकिन आयोग में एक ऐसा मामला आया है, जिसमें राज्य सूचना द्वारा ही समय पर ड्रग ट्रायल की जानकारी उपलब्ध न कराने पर आवेदक ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई।...

    भोपाल !   अभी तक राज्य सूचना आयोग आवेदक को जानकारी न देने पर लोक सूचना अधिकारी के खिलाफ जुर्माना या क्षतिपूर्ति दिलाकर उसे राहत प्रदान करता था। लेकिन आयोग में एक ऐसा मामला आया है, जिसमें राज्य सूचना द्वारा ही समय पर ड्रग ट्रायल की जानकारी उपलब्ध न कराने पर आवेदक ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। इस पर कोर्ट ने सूचना आयोग को जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश दिए। इसके बावजूद सूचना न दिलाने पर आयोग के खिलाफ अदालत की अवमानना मामला चल रहा है। सूचना आयोग ने आखिरकार उच्च न्यायालय के आदेश को मानते हुए सूचना के अधिकार अधिनियम के विरुद्ध महाराजा यशवंत अस्पताल इंदौर के तत्कालीन और उसके बाद के कुल 5 लोक सूचना अधिकारी और 2 लोक अपीलीय अधिकारी के विरुद्ध जुर्माना लगाया है। आरटीआई कार्यकर्ता डॉ. आनंद राय ने महाराजा यशवंत अस्पताल इंदौर के अधीक्षक एवं संस्था प्रमुख से जुलाई 2010 में जानकारी मांगी थी कि अस्पताल में कितने क्लीनिकल ट्रायल किए गए हैं। उन्हें निर्धारित समय में जानकारी न दिए जाने पर उन्होंने अपीलीय अधिकारी को पास अपील की। वहां से भी जानकारी न मिलने पर राय ने राज्य सूचना आयोग में अपील की। राज्य सूचना आयोग में 20 अगस्त 2014 तक सुनवाई लंबित रही। इस पर उन्होंने आयोग के उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। अदालत ने मामले में दस दिन में सुनवाई करते हुए आयोग को आदेश दिया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना दिलाने का काम आयोग का है। कोर्ट ने सूचना आयोग को निर्देश दिए थे कि आवेदक को हर स्थिति में 15 दिन के अंदर जानकारी उपलब्ध कराए। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सूचना आयोग ने आवेदक को आठ माह तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। इस आवेदक ने अदालत की अवमानना की याचिका दायर की जो अभी कोर्ट में लंबित है।


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