• नक्सलियों ने जनपद सदस्य सहित पांच ग्रामीणों को पीटा

    दंतेवाड़ा/जगदलपुर ! नक्सलियों ने जनपद सदस्य गंगूराम कश्यप सहित अगवा किये गए सभी पांच लोगो को छोड़ दिया है, लेकिन बेदम पिटाई के बाद उन्हें छोड़ा गया और पुलिस से दूर रहने तथा विकास कार्यो में साथ नहीं देने की चेतावनी दी गई।...

    बेदम पिटकर छोड़ा ,रात भर जंगल में की पिटाई पुलिस की मदद लेने पर जान से मारने की भी धमकी दंतेवाड़ा/जगदलपुर !   नक्सलियों ने जनपद सदस्य गंगूराम कश्यप सहित अगवा किये गए सभी पांच लोगो को छोड़ दिया है, लेकिन बेदम पिटाई के बाद उन्हें छोड़ा गया और पुलिस से दूर रहने तथा विकास कार्यो में साथ नहीं देने की चेतावनी दी गई। कोया समाज के जिलाध्यक्ष तथा जनपद सदस्य गंगूराम कश्यप, गढ़मिरी के पूर्व सरपंच तथा वर्तमान में सरपंच पति लिंगाराम मंडावी, मेटापाल के पूर्व सरपंच बिज्जोराम सहित गढ़मिरी के पटेल और एक अन्य ग्रामीण का नक्सलियों ने शुक्रवार शाम को अपहरण कर लिया था। जनपद सदस्य गंगूराम कश्यप को इसलिए अगवा किया गया, क्योंकि वह इस इलाके में काफी जाना पहचाना नाम है। ग्रामीणों के बीच उसकी अच्छी पैठ है। इधर लिंगाराम मंडावी गदापाल का दो बार सरपंच रह चुका है, अभी उनकी पत्नी मलको बाई मंडावी सरपंच है। इधर मेटापाल के  बिज्जोराम भी तेजी से उभर रहे हैं। गढ़मिरी के पटेल और एक अन्य ग्रामीण को पुलिस का साथ देने के आरोप में नक्सली उठाकर ले गए थे। इस सभी को छुड़ाने ग्रामीण जंगल भी गए। नक्सलियों ने इन पांचों की जमकर पिटाई की। नक्सलियों की पिटाई से कराह रहे गदापाल के पूर्व सरपंच लिंगाराम को यहां अस्पताल में भर्ती कराया गया है। लिंगाराम के आंख, पैर और पीठ में डंडे से पिटने के निशान है। लिंगाराम के दोनों पैर के तलवों को बंदूक के बट से पीटा गया है, जिससे उसके पैरों के नीचे नीले निशान भी पड़ चुके हैं। नक्सलियों ने इन ग्रामीण जनप्रतिनिधियों की पिटाई करने के बाद सख्त लहजे में चेताया था कि अगर अस्पताल या पुलिस के पास गए तो उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी जाएगी। इसके बाद भी प्रताडि़त लिंगाराम  को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। लिंगाराम के साथ उनकी सरपंच पत्नी मलको बाई और आठवीं में पढऩे वाला उसका बेटा भी देखभाल के लिए अस्पताल में है। लिंगाराम ने बताया कि शुक्रवार की शाम वर्दीधारी नक्सली बड़ी संख्या में गांव में आ धमके और उन्हें अपने साथ उठा लिया। मेटापाल तथा गढ़मिरी के ग्रामीणों को भी उनके गांवों से उठाया गया और जंगल में एक साथ रखा गया। नक्सलियों ने डंडे और बंदूक  के बट से बुरी तरह सभी की पिटाई की और चेतावनी देकर छोड़ दिया। नक्सली मेटापाल और जारम में सीआरपीएफ कैम्प खुलने से बेहद दुखी हैं। गढ़मिरी के पटेल को यह कहकर पिटा गया कि वह पुलिस का साथ देता है, जब नक्सली बंद या किसी अन्य समय सड़क खोदने के लिए ग्रामीणों को बुलाते हैं तो वह ग्रामीणों को रोकता है। नक्सलियों के खिलाफ ग्रामीणों को लामबंद करने का आरोप लगाया गया है। जनपद सदस्य गंगूराम को भी नक्सलियों ने अपनी खिलाफत की सजा पिटाई के तौर पर दी है। लिंगाराम की माने तो नक्सली किसी भी ग्रामीण जनप्रतिनिधि को आगे बढ़ता नहीं देख सकते। गांव में अगर विकास कार्य होता है तो यह बात नक्सलियों को नागवार गुजरती है। नक्सलियों की पिटाई के दर्द से छटपटा रहे सरपंच पति लिंगाराम और उनकी पत्नी की आंखों में दहशत अभी भी दिख रही थी। ग्रामीणों के बीच ही नक्सलियों ने इन प्रतिनिधियों को इसलिए पिटा ताकि दहशत बनी रहे। उल्लेखनीय है कि नक्सलियों ने अगवा किये गए इन ग्रामीण प्रतिनिधियों पर ग्रामीणों को सताने, गांव में ज्यादा जमीन खरीदने और नेतृत्व के जरिये गांव को नक्सलियों  के खिलाफ एकजुट करने का आरोप भी लगाया है।  नक्सल दहशत में पंचायत प्रतिनिधि    दक्षिण बस्तर में लोकतंत्र का पहला सोपान पंचायती राज संगीनों के साये में धीरे-धीरे सांस ले रहा है। ग्रामीण बड़ी मुश्किल से चुनाव में खड़े होने की हिम्मत जुटा पाते हैं। पुलिस और प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद इन पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। नक्सली उन्हें जब चाहे उठा लेते हैं, पिटाई करते है और अगर छोडऩा हो तो छोड़ देते हैं या फिर हत्या भी कर देते हैं। जनप्रतिनिधियों को अगवा किये जाने  के ताजा मामले में पुलिस ने जंगल की ओर अपना कदम नहीं बढ़ाया, बल्कि अपहृत प्रतिनिधियों के परिजनों तथा अन्य ग्रामीणों ने जंगल की ओर कूच कर नक्सलियों से अपने लोगों को छुड़वाया। पुलिस पूरे घटनाक्रम पर केवल नजर रखी हुई थी। गंगूराम कश्यप जनपद सदस्य होने के साथ एक समाज का अध्यक्ष भी था और वर्तमान विधायक देवती कर्मा का प्रतिनिधि भी घोषित किया गया था, ऐसे में नक्सलियो ने इन्हें अगवा कर इनके बढ़ते कद को भी कम करने का प्रयास किया।


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