• चौकीदार के भरोसे सोनबरसा जंगल

    लटुवा ! लटुवा मे स्थित सोनबरसा जंगल की दुरी जिला मुख्यालय से महज 3 कि.मी. होने के बावजूद वन विभाग के आला अधिकारियों की देखरेख में कमीयो एवं लापरवाही के चलते जंगली जानवर सुरक्षित नही है इस 562 हेक्टेयर के सोनबरसा जंगल की सुरक्षा की बात करने वाले जिम्मेदार अधिकारीयों ने जंगल की सुरक्षा मात्र 3 चौंकीदारों के भरोसे ही छोड दिया है...

    लटुवा !  लटुवा मे स्थित सोनबरसा जंगल की दुरी जिला मुख्यालय से महज 3 कि.मी. होने के बावजूद वन विभाग के आला अधिकारियों की देखरेख में कमीयो एवं लापरवाही के चलते जंगली जानवर सुरक्षित नही है इस 562 हेक्टेयर के सोनबरसा जंगल की सुरक्षा की बात करने वाले जिम्मेदार अधिकारीयों ने जंगल की सुरक्षा मात्र 3 चौंकीदारों के भरोसे ही छोड दिया है जो दिन मे 9 से 5 बजे तक ही रहते है, वो भी बनाये गये चेक पोस्ट नाके में रात को जंगल और जंगली जानवर की सुरक्षा भगवान भरोसे ही रहती है इस जंगल की सुरक्षा हेतू लगाये गये जाली तार घटिया चलिटी की है जो जंग लगी एवं सडी गली है जगह जगह तार टुटे हुए है कई जगह तो टुटे तार की चौड़ाई इतनी है कि एक मिनी ट्रक भी जंगल के अंदर घुस जाए जंगल में 100 से अधिक हिरन सांभर चितल होने और उतने ही शाकाहारी जानवर होने का दावा करने वाले वन विभाग के अधिकारीयों से पुछे जाने पर की हर साल हिरन के सिर से सिंग टुट कर गिरता है तो आपके पास अभी वर्तमान में कितने सिंग है पुछे जाने पर हाथ पैर फूल गये किसी तरह का कोई अवैध शिकार नही होने की बात कहने वाले ये अधिकारी भूल गये है कि बिते वर्षो मे कई जानवर जंगल में सडी गली अवस्था में मरे मिले है एक जंगली सुवर तो इस कदर सड़ चुकी थी कि किड़े तक बिलबिला रहे थे और उसकी बदबू जंगल के अंदर 200 से 300 मीटर दुर मुख्य मार्ग तक आ रही थी जिसकी जानकारी ग्रामीणों द्वारा वन विभाग को दी गई। जिस पर जंगली सुवर के मृत होने की पुष्टी कि गई थी ग्रामीणों में बी.आर. कन्नौजे, देशबंधु साहू, गोविन्द राम वर्मा, धनेश्वर घृतलहरे, रामेश्वर यादव, दीपक कन्नौजे, मुरारी कन्नौजे, रोहित साहू, खुबी पैकरा ने बताया कि पंहले जंगल में हिरण बारहसिंगा, चीतल, जंगली सुवर ज्यादा देखने को मिलते थे जो 100-200 कि झुण्ड में दिखते थेे पर अब दो-चार या 10-12  की झुण्ड दिख जाय तो बहुत है। ज्यादातर हिरणों और जंगली सुवरों का शिकार होता है या फिर टुटे जाली से बाहर आ कर यें जानवर रोड पार करने के दौरान  ट्रक और हाइवा जैसे बड़े वाहन कि चपेट मे आकर दब जाते हैं। अगर यही हाल रहा तो आने वाली पीढी को बताना पड़ जायेगा कि बेटा यहां सोनबरसा जंगल में कभी जंगली सुवर और हिरण भी हुआ करतें थें। जिस जंगली जानवर और जंगल के भरोसे ये विभाग संचालित है उनकी सुरक्षा हेतू पर्याप्त फंड नही होने कि बात कहने वाले ये अधिकारी विभाग द्वारा करवाये जाने वाले कार्यक्रम में लाखों करोड़ो रूपये फिजूल खर्च करतें है अगर इन पैसों का सद्उपयोग जंगल एवं जंगली जानवरों कि सुरक्षा हेतु करें तो शायद ये बेजुबान जानवर अपने रहवास क्षेत्र मे सुरक्षित रह पायेंगे और अवैध शिकार से भी बचें रह पायेंगे।  ये अधिकारी जंगली जानवरों की संख्या की गणना किस आधार पर कर रहे है या फिर इनकी गणना कागजों तक ही सीमित हेै? जंगल कि सुरक्षा के लिए वन विभाग के पास कोई पुख्ता इंतेजाम भी नही है क्योकि 3 लोगो के भरोसे 562 हेक्टर के जंगल को सुरक्षित रखना संभव नही है, क्योंकि रात तो सिर्फ शिकारीयों के लिये है


     

अपनी राय दें