नोएडा ! यादव सिंह का नोएडा प्राधिकरण में अब वर्चस्व समाप्त हो गया है। अगर सीबीआई जांच से किसी तरह यादव सिंह बरी भी हो गए तो भी पहले जैसा रुतबा नहीं रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की यादव सिंह पर गाज गिरी है। जिन प्राधिकरण अधिकारियों पर यादव सिंह अबना रौब जमाते थे अब वह यादव सिंह से सीनियर हैं। कई और प्राधिकरण अधिकारियों पर पदावनति की गाज गिरना तय है।
दरअसल आरक्षण का लाभ लेकर प्रमोशन पाने वाले नोएडा प्राधिकरण के इंजीनियरों के पदावनति (डिमोशन) की प्रक्रिया शुरू हो गई है। ऐसे इंजीनियरों की सूची बनाई जा रही है। इस पर कोर्ट के आदेश के तहत 5 सिंतंबर तक कार्रवाई होनी है। यादव सिंह को अगस्त 1997 को सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर बनाया गया था। इससे पहले 1995 में वे प्रोजेक्ट इंजीनियर थे। अब नए नियम के लागू होने पर 27 नवंबर 1997 से पहले का पद मिलेगा। नोएडा प्राधिकरण में ऐसे कई इंजीनियर हैं, जिन्हें पदोन्नति में आरक्षण का लाभ मिलने से जल्दी-जल्दी प्रमोशन मिला है। इनमें से कई असिस्टेंट इंजीनियर से सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर तक बन चुके हैं। उनको फिर से अपने पुराने पद पर लौटना पड़ सकता है। 113 इंजीनियर ऐसे हैं, जिनको प्रमोशन में आरक्षण का लाभ मिला है। दरअसल, प्रदेश सरकार ने 2007 में अधिसूचना जारी कर एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण का लाभ दिया। इसका विरोध हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने 2012 में इसे खत्म करने का आदेश दिया, मगर प्रदेश सरकार ने इस पर ठोस कार्रवाई नहीं की। इस पर हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताते हुए पांच सितंबर तक डिमोशन की प्रक्रिया पूरी करने और 15 सितंबर को रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है। ऐसा न करने पर मुख्य सचिव को खुद कोर्ट के समक्ष पेश होने की चेतावनी दी गई है।