• ठेकेदारों को लोनिवि ने पहुंचाया तीन करोड़ का अनुचित लाभ

    रायपुर ! लोक निर्माण विभाग द्वारा ठेकेदारों को तीन करोड़ से अधिक अनुचित लाभ पहुंचाने का खुलासा नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने किया है। छत्तीसगढ़ के महालेखा परीक्षक बीके मोहंती ने बताया इंसेटिव बोनस की गलत गणना के कारण दो करोड़ 61 लाख और निर्माण कार्यों में री रोल्ड स्टील के उपयोग से 38 लाख 54 हजार का लाभ पहुंचाया गया। विभाग ने अपने कार्यों को समय पर करने के लिए वर्क मैनुअल में इंसेटिव बोनस का प्रावधान सितंबर 2005 में किया। ...

    कैग की रिपोर्ट में खुलासा रायपुर !   लोक निर्माण विभाग द्वारा ठेकेदारों को तीन करोड़ से अधिक अनुचित लाभ पहुंचाने का खुलासा नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने किया है। छत्तीसगढ़ के महालेखा परीक्षक बीके मोहंती ने बताया इंसेटिव बोनस की गलत गणना के कारण दो करोड़ 61 लाख और निर्माण कार्यों में री रोल्ड स्टील के उपयोग से 38 लाख 54 हजार का लाभ पहुंचाया गया। विभाग ने अपने कार्यों को समय पर करने के लिए वर्क मैनुअल में इंसेटिव बोनस का प्रावधान सितंबर 2005 में किया। इसमें इस बात का प्रावधान किया गया है कि ठेकेदार वास्तविक समय में ठेका पूर्ण करता है, तो वह बोनस का पात्र होगा। यह बोनस समय पूर्व समापन के प्रत्येक हफ्ते के लिए अनुबंध मूल्य के 0.25 फीसदी की दर से देय होगा। लेकिन कुल मिलाकर अनुबंध मूल्य के 5 फीसदी से अधिक नहीं होगा। 16 जून से 15 अक्टूबर के 4 माह को वर्षाकाल मान्य किया गया। इसकी गणना कार्यावधि में नहीं की जाती। रायपुर के मुख्य अभियंता कार्यालय ने अक्टूबर 2009 में यह स्पष्ट किया कि ठेकेदार को इंसेटिव बोनस के भुगतान की गणना करते समय अनुबंध अवधि ‘वर्षा ऋतु को छोडक़र’ उल्लेखित किया गया हो, वहां इस दौरान किए गए कार्य को समापन काल में शामिल नहीं किया जाना था। लेकिन रायपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, राजनांदगांव के सेतु संभागों के अभिलेखों की जांच में पाया गया कि 18 कार्य वर्षाकाल को छोडक़र 8 से 24 महीने तक की समापन अवधि सहित स्वीकृत किए गए थे। ठेकेदारों द्वारा कार्यों के काफी हिस्सों 4 कार्यों में 30 से 41 फीसदी तीन कार्यों में 21 से 29 फीसदी और शेष 11 कार्यों में 3 से 20 फीसदी का क्रियान्वयन वर्षाकाल के दौरान किया गया था। अनुबंध के प्रावधानों एवं उस समय प्रभावशील निर्देशों के खिलाफ ठेकेदारों को इंसेटिव बोनस के भुगतान से पहले बोनस की गणना के लिए अपात्र दिवसों को घटाया नहीं गया था। 9 कार्यों में समापन की अवधि वर्षाकाल को छोडक़र स्वीकृत की गई थी। ठेकेदारों को कुल एक  करोड़ 24 लाख इंसेटिव बोनस का भुगतान किया गया था। किंतु वर्षा ऋतु के उन दिनों जिनमें कार्य किया गया था, उनकी कटौती किए बिना इंसेटिव बोनस की गणना 28 से 140 दिनों के लिए की गई थी। वर्षाकाल की अवधि 31 से 245 दिनों का उपयोग इन कार्यों में हुआ था। इसलिए किसी भी कार्य में इंसेटिव बोनस का भुगतान नहीं किया जाना था। इसी तरह ठेकेदारों द्वारा नौ अन्य कार्य वर्षाकाल के 29 से लेकर 183 दिनों तक का उपयोग करते हुए किए गए थे। किंतु इंसेटिव बोनस की गणना 42 से लेकर 189 दिनों के लिए किए बिना ही की गई। इस तरह ठेकेदारों को एक करोड़ 37 लाख का अस्वीकार्य भुगतान किया गया। प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग ने नवंबर 2014 में बताया कि कार्य वर्षाकाल को छोडक़र एक विशिष्ट अवधि के साथ आबंटित किए गए थे। प्रत्येक कार्य के प्रारंभ की तिथि एवं समापन की तिथि निश्चित की गई है। बोनस का भुगतान प्रावधानों के अनुसार ही किया गया था। जिसके लिए ठेकेदार भुगतान का पात्र था। नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने कहा है कि यह उत्तर स्वीकार नहीं है। क्योंकि इन प्रकरणों में कार्यादेश कार्यसमापन के लिए वर्षाकाल को छोडक़र निर्दिष्ट अवधि के साथ जारी किए गए थे। इसलिए कार्यों में उपयोग किए गए वर्षाकाल के दिवसों को कम किए बिना ठेकेदार को इंसेटिव बोनस के रूप में 2 करोड़ 61 लाख भुगतान का मुख्य अभियंता का स्पष्टीकरण का उल्लंघन था।  कैग ने अपनी रिपोर्ट में री रोल्ड स्टील के उपयोग के कारण ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी खुलासा किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कोंडागांव संभाग के कार्यपालन अभियंता के अभिलेखों की जांच के दौरान पाया गया कि वर्ष 2013-14 के दौरान 12 अनुबंधों पर ठेकेदारों को एक करोड़ 8 लाख के 293.88 मीटरिक टन के री रोल्ड स्टील के उपयोग की अनुमति दी गई थी। जो प्रतिबंधित था। एसओआर में प्रावधान है कि स्टील को सेल आरआईएनएल तथा टिस्को से खरीदा जाना था। लेकिन ठेकेदारों द्वारा कम दर पर स्टील स्थानीय व्यापारियों से खरीदा गया। यदि टिस्को या सेल से स्टील खरीदा गया होता, तो इसकी दर 46 हजार 6 सौ से 51 हजार 450 रुपए प्रति मीटरिक टन के बीच होता। इसके विरूद्ध ठेकेदारों द्वारा व्यापारियों से 33 हजार 626 रुपए से 41 हजार 260 रुपए प्रति टन की दर पर खरीदा गया था। इससे निम्न स्तर का कार्य हुआ। वहीं ठेकेदारों को 38 लाख 54 हजार का अनुचित लाभ पहुंचाया गया।


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