• केंद्र पर हमले का बनी हथियार

    नई दिल्ली ! दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने बजट सत्र को कामकाज के लिहाज से अभूतपूर्व बताया है तो वहीं विपक्ष ने बजट सत्र में सरकार पर रस्म अदायगी का आरोप लगाया है। हालंाकि सत्र के दौरान पहले चार दिन सवाल बेशक न पूछे गए हों लेकिन बाद के दो दिन में 40 में से 20 प्रश्न पूछे गए और विधायकों ने 61 मामले विशेष उल्लेख में उठाए। ...

    बजट सत्र में आधा दर्जन अल्पकालिक चर्चा नई दिल्ली !   दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने बजट सत्र को कामकाज के लिहाज से अभूतपूर्व बताया है तो वहीं विपक्ष ने बजट सत्र में सरकार पर रस्म अदायगी का आरोप लगाया है। हालंाकि सत्र के दौरान पहले चार दिन सवाल बेशक न पूछे गए हों लेकिन बाद के दो दिन में 40 में से 20 प्रश्न पूछे गए और विधायकों ने 61 मामले विशेष उल्लेख में उठाए। नियम 107 में वन रैंक वन पेंशन, सिख दंगों, अस्पतालों में सुधार के प्रस्ताव पारित हुए। लेकिन आठ अल्पकालिक चर्चा में छह चर्चा में सीधे सीधे केंद्र सरकार को निशाना साध कर जमकर हमले किए गए। बजट सत्र में पांच विधेयक किए गए पेश        हालंाकि विस अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने प्रश्नकाल न होने के लिए कहा कि सत्र की सूचना देर से मिली इसलिए शुरूआती दिनों में प्रश्नकाल नहीं हो सका। एक प्रश्न के जवाब में उन्होने कहा कि विधानसभा का स्पीकर हूं भाजपा का आरोप निराधार है। हालंाकि मार्शलों से भाजपा सदस्यों को निकालने और जिरहबाजी, अपशब्दों पर उन्होने मीडियाकर्मियों से कहा कि किसी भी सदस्य के खिलाफ कार्रवाई करते हुए मुझे बहुत दुख हो रहा था। बजट सत्र में बजट सहित पांच विधेयक भी पारित किए गए। नेता प्रतिपक्ष विजेन्द्र गुप्ता ने विधानसभा के इतिहास में इसे पहला ऐसा सत्र बताया कि जहां आम आदमी पार्टी की सरकार ने सिर्फ  रस्मअदायगी निभाती दिखी। इतने कम दिनों का बजट सत्र कभी भी नहीं हुआ। चार महत्वपूर्ण बिल बगैर किसी चर्चा व संशोधन सिर्फ  चार सेकेन्ड में पारित किये गये। बजट को भी ऐसे ही पारित कर संवैधानिक मूल्यों की अवहेलना की गयी है। गुप्ता ने कहा कि भाजपा सरकार द्वारा की गई इस संवैधानिक अराजकता के मुद्दे को उपराज्यपाल महोदय तक ले जायेगी। उन्होने कहा कि विधानसभा प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली की धज्जियां खुलेआम उड़ाई गई। इस कार्य में विधानसभा अध्यक्ष ने सत्ता पक्ष के इशारे पर ही कार्य किया जो कि उनके पद की गरिमा और सदन की मर्यादा के पूर्णत: खिलाफ  था। भाजपा विधायकों के माइक बंद कर दिये गये और शोर कर बहुमत की अकड़ दिखा कर बोलने नहीं दिया गया। बार-बार मार्शलों का प्रयोग कर, अपमानित कर सदन से बाहर निकाला गया। गुप्ता ने आरोप लगाया कि कई प्रश्न तक नहीं पूछने दिया गया।


     

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