• करोड़ों की गाडिय़ां जंग लगने के बाद बनीं कबाड़

    नोएडा ! स्वास्थ्य विभाग की करीब 35 गाडिय़ां खड़े-खड़े ही खराब हो गईं। लापरवाही का आलम यह है कि विभाग के पास इन गाडिय़ों के दस्तावेज भी नहीं है। जिससे इन गाडिय़ों को बेचकर नई गाडिय़ों की मांग शासन को भेजी जा सके। अब स्वास्थ्य विभाग को कम गाडिय़ों से ही काम चलाना पड़ रहा है।...

    नोएडा !   स्वास्थ्य विभाग की करीब 35 गाडिय़ां खड़े-खड़े ही खराब हो गईं। लापरवाही का आलम यह है कि विभाग के पास इन गाडिय़ों के दस्तावेज भी नहीं है। जिससे इन गाडिय़ों को बेचकर नई गाडिय़ों की मांग शासन को भेजी जा सके। अब स्वास्थ्य विभाग को कम गाडिय़ों से ही काम चलाना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग परिसर से लेकर सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केद्र में दर्जनों खराब गाडिय़ां खड़ी है।  स्वास्थ्य विभाग के पास 108 नंबर और 102 नंबर की कुल मिलाकर 16 एंबुलेंस है। यह एंबुलेंस जिला अस्पताल, प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए हैं। जबकि जिले में मरीजों की संख्या को देखते हुए एंबुलेंस की काफी कमी है। खराब पड़ी गाडिय़ों में करीब आधा दर्जन एंबुलेंस हैं। इनमें से कुछ एंबुलेंस स्वास्थ्य केंद्रों में ढांचा बनी खड़ी है। सूत्रों की मानें तो इन में से कुछ एंबुलेंस को ठीक कराया जा सकता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इन्हें ठीक कराने की जहमत नही उठाते हैं। एंबुलेंस की कमी के चलते मरीज को परेशानी उठानी पड़ती है। इन खराब पड़ी गाडिय़ों में 10 गाडिय़ां स्वास्थ्य विभाग में खड़ी है, जिसमें दो एंबुलेंस हैं। अन्य 25 गाडिय़ां जिले के हेल्थ सेंटरों पर खड़ी है। शासन की गाइड लाइन बनी मुसीबत स्वास्थ्य विभाग के पास खराब खड़ी इन गाडिय़ों के कागजात ही नहीं है। इस कारण स्वास्थ्य विभाग इन गाडिय़ों को बेच नहीं पा रहा है। गाडिय़ों को बेचने से पहले स्वास्थ्य विभाग को शासन को इनका पूरा ब्यौरा भेजना होगा। जिसमें गाडिय़ों की इश्यू डेट, गाडिय़ां कितनी चली हैं और उनपर कितना पेट्रोल खर्च किया गया है। इसके अलावा किस वजह से इन गाडिय़ों का इस्तेमाल बंद किया गया है। खास बात यह है कि जब तक स्वास्थ्य विभाग इन गाडिय़ों को नहीं बेचेगा तब तक शासन की तरफ से स्वास्थ्य विभाग को नई गाडिय़ां नहीं मिल पाएंगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य विभाग को मिलाकर करीब 35 गाडिय़ां जर्जर अवस्था में पड़ी हैं। इनका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। दस्तावेज न होने के कारण स्वास्थ्य विभाग इन गाडिय़ों को बेच भी नही पा रहा है। गाडिय़ों को बेचने से पहले शासन को इन गाडिय़ों की रिपोर्ट भेजनी होगी। तभी नई गाडिय़ां मिल सके। हालांकि, अब हम लोग शासन को पत्र भेजकर इन गाडिय़ों के बारे में जानकारी दे रहे हैं।


     

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