• देश में शिक्षा का हो रहा भगवाकरण

    जयपुर ! कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं उत्तरप्रदेश की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रीता बहुगुणा ने आरोप लगाया कि देश की शिक्षा प्रणाली का वर्तमान केन्द्र सरकार निजीकरण एवं भगवाकरण कर रही है। केन्द्र सरकार का एक वर्ष पूरा होने पर शिक्षा क्षेत्र में हुई गड़बडिय़ों को रेखाङ्क्षकत करते हुए बहुगुणा ने पत्रकारों को बताया कि केन्द्र मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के दवाब में काम कर रही है। ...

    आरएसएस के दबाव में काम कर रही सरकारजयपुर !   कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं उत्तरप्रदेश की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रीता बहुगुणा ने आरोप लगाया कि देश की शिक्षा प्रणाली का वर्तमान केन्द्र सरकार निजीकरण एवं भगवाकरण कर रही है।  केन्द्र सरकार का एक वर्ष पूरा होने पर शिक्षा क्षेत्र में हुई गड़बडिय़ों को रेखाङ्क्षकत करते हुए बहुगुणा ने पत्रकारों को बताया कि केन्द्र मोदी सरकार राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) के दवाब में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इसी कारण शिक्षा के अलावा अन्य क्षेत्रों में नीति निर्धारण संस्थाओं एवं  कमेटियों में संघ के लोगों को बैठाया जा रहा ताकि संघ विचारधारा से नीतियां बने तथा इसी  विचारधारा को फैलाया जाए।  उन्होंने कहा कि देश के युवाओं का दिमाग वॉस कर उनमें संघ विचारधारा को पनपाया जा रहा है जो देश निर्माण जैसे शिक्षा विषय पर कुठाराद्यात है तथा इसके परिणाम निराशाजनक होंगे। बहुगुणा ने कहा कि देश का मजबूत शैक्षणिक ढांचा वर्षों की मेहनत से तैयार हुआ है और इसे मजबूत करने की बजाए मानव संसाधन मंत्री  स्मृति ईरानी प्रतिष्ठित संस्थानों को तोडऩे एवं विशिष्ठ शिक्षाविदों को अपमानित करने तथा संघ के अयोग्य व्यक्तियों को उच्च पदों पर बिठाने का कार्य कर रही हैं। इस प्रकार यह सरकार युवापीढ़ी के भविष्य को  खतरे में डालकर देश की शिक्षा व्यवस्था को बिखराव के कगार पर ला दिया है। उन्होंने ईरानी एवं मानव संसाधन राज्यमंत्री रामशंकर कथेरिया की शैक्षणिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए कहा कि इनकी डिग्रियां फर्जी है और ये मंत्री अपनी योग्यता के सम्बन्ध में अलग अलग शपथ पत्र दे रहे या न्यायालय में मामले विचाराधीन है। उन्होंनेकहा कि ऐसे में देश की शिक्षा की दिशा एवं दशा किस ओर जाएगी बताने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं की स्वायत्ता समाप्त करने के प्रयास में स्वतंत्र निर्णयों पर बेवजह अंकुश लगाया जा रहा है। इसी प्रकार के प्रयासों से प्रतिष्ठित शिक्षा विद एवं वैज्ञानिक पदों से इस्तीफा दे रहे है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बाम्बे के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष अखिल काकोदकर का इस्तीफा इसका जीता जागता सबूत है। उन्होंने बताया कि भारतीय जनता पार्टी की राजनीति से त्रस्त होकर आई आई टी दिल्ली के निदेशक रघुनाथ के शेवगांवकर ने भी इस्तीफा दिया था।

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