• परिवहन विभाग में चालकों-परिचालकों की किल्लत

    कौशांबी ! उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के कौशांबी डिपो में चालकों-परिचालकों का टोटा होने से कई रूटों पर बसों के संचालन में दिक्कत आ रही है। एक तरफ परिवहन निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है तो दूसरी तरफ विवाह शादियों व छुट्टी मानने जाने वाले यात्री परेशान हो रहे हैं। कौशांबी डिपो में मौजूदा समय में 162 बसें हैं।...

    कौशांबी !  उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के कौशांबी डिपो में चालकों-परिचालकों का टोटा होने से कई रूटों पर बसों के संचालन में दिक्कत आ रही है। एक तरफ परिवहन निगम को राजस्व का नुकसान हो रहा है तो दूसरी तरफ विवाह शादियों व छुट्टी मानने जाने वाले यात्री परेशान हो रहे हैं। कौशांबी डिपो में मौजूदा समय में 162 बसें हैं। इनमें 77 परिवहन निगम की व शेष 85 अनुबंधित बसें हैं। नियम के अनुसार परिवहन निगम की बसों के चालक की व्यवस्था विभाग करता है। अनुबंधित बसों के चालक की व्यवस्था बस मालिक की ओर से की जाती है। सभी बसों में परिचालक परिवहन निगम की ओर से रखे जाते हैं। मानक के अनुसार, कौशांबी डिपो में मौजूद बसों के मुताबिक 166 चालक व 350 परिचालक की तैनाती होनी चाहिए। ताकि सभी रूटों पर बसों का संचालन सुचारु रूप से हो सके, लेकिन स्थिति विपरीत है। डिपो में मौजूदा समय में करीब 120 चालक ही हैं, मानक के अनुसार 46 चालकों की कमी है। इसी तरह डिपो पर इस समय 239 परिचालक हैं, जिनमें से 44 नियमित और 195 संविदा के हैं। इस तरह डिपो पर 110 परिचालकों की कमी है। इनमें से कई चालक-परिचालक अन्य कामों में लगे हैं। चालक-परिचालक की कमी कई महीनों से बनी है।चालकों-परिचालकों की संख्या में कमी से डिपो से विभिन्न रूटों पर बसों का सुचारू रूप से संचालन नहीं हो पा रहा है। जिन रूटों के लिए आधा-आधा घंटा के अंतराल पर बसें निकलती थीं, उन पर घंटे-दो घंटे में बसें निकल रही हैं, जिससे उन रूटों पर यात्रा करने वाले यात्रियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। कई बार हंगामे की स्थिति भी बन गई है और पुलिस को बुलाना पड़ा। डिपो के अधिकारियों ने बताया कि चालकों-परिचालकों की कमी सभी रूट प्रभावित हैं, लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत मेरठ, बुलंदशहर व गढ़ रूट पर हो रही है। इन रूटों पर प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या काफी अधिक होती है। सुचारु रूप से बसों का संचालन न हो पाने के कारण यात्रियों को दिक्कत हो रही है।डिपो के अधिकारियों का कहना है कि इन दिनों चल रहे शादी-विवाह और छुट्टी के सीजन ने समस्या को और बढ़ा दिया है। इसके कारण यात्रियों की संख्या बढ़ गई है। चालक-परिचालक की कमी से कई बसें डिपो में ही खड़ी रह जाती हैं। ऐसे में जो बसें डिपो से निकलती हैं, इनमें भीड़ टूट पड़ती है। डिपो के अधिकारियों का कहना है कि चालक-परिचालक की कमी के कारण राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। बसें डिपो में खड़ी रहती हैं, यदि रूटों पर निकले, तो राजस्व बढ़ेगा।

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