• भ्रष्टाचार देश के लिए कैंसर: नाईक

    फर्रूखाबाद ! भ्रष्टाचार देश के लिए कैंसर के समान है चाहे वह भ्रष्टाचार केंद्र सरकार में हो या प्रदेश सरकार में हो। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना होगा जब तक भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया जाएगा तब तक देश का विकास संभव नहीं है। यह वात उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने फर्रूखाबाद के जे एन वी रोड स्थित रोजी पब्लिक स्कूल में डा. ब्रहमदत्त अवस्थी की मीसा वंदी पुस्तक की समीक्षा करते समय कही। ...

    फर्रूखाबाद !   भ्रष्टाचार देश के लिए कैंसर के समान है चाहे वह भ्रष्टाचार केंद्र सरकार में हो या प्रदेश सरकार में हो। भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना होगा जब तक भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया जाएगा तब तक देश का विकास संभव नहीं है। यह वात उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने फर्रूखाबाद के जे एन वी रोड स्थित रोजी पब्लिक स्कूल में डा. ब्रहमदत्त अवस्थी की मीसा वंदी पुस्तक की समीक्षा करते समय कही। उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी को इतिहास के वारे में जानकारी नहीं है यह जानकारी उन्हें ग्रन्थों के माध्यम से ही मालूम होती है। युवाओं को इस प्रकार के आयोजनों के वारे में जानकारियां मिलनी चाहिए जो 40 वर्ष पूर्व आपातकालीन स्थित की जानकारी नहीं है वह इस प्रकार के कार्यक्रमों से मिल जाएगी। नाईक ने कहा कि 40 वर्ष पूर्व जेल के अंदर से पत्रों को लिखना और उन्हे सुरक्षित स्थान तक पहुंचाना और उन्हे सुरक्षित रखना वेहद कठिन कार्य है। 1975 में कांग्रेस की सरकार में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मीसा डी आर को लागू किया था उस समय वह भारतीय जन संघ में संग्रह मंत्री थे देश की स्थिति ऐसी थी कि पत्रकारों को भी जेल में ठूंसा गया था। उस समय जय प्रकाश नारायण मुंबई के अस्पताल में थे। वह वहां अस्पताल से वुलेटिन निकालकर खबरे पहुंचाते थे इतना ही नहीं विषम परिस्थितियों में भी वह अलग अलग वुलेटिन निकालते थे। उन्होंने कहा कि उस समय उनके साथी भुवन कुणकर्णी वुलेटिन को इधर से उधर ले जाने का काम करते थे उसी समय ट्रेन में हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई चूंकि वह आवश्यक वुलेटिन में थे इसलिए उन वुलेटिनों को सुरक्षित करना वेहद जरूरी था इसलिए अन्य साथियों से उन वुलेटिनों को निकलवाने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के समय सभी दहशत में रहते थे मिठाई के साथ खबरे भेजनें का काम होता था उस समय पत्र लिखना व पहुंचाना औैर उन्हे संभाल के रखना वड़ा काम था सारे देश में लोकतंत्र होने के बाद भी जेलों में अधिक से अधिक लोगों को बंद किया गया। ऐसी स्थिति में जनता में आजादी की ज्योति जलाए रखना वेहद मुश्किल कार्य होता था। नाईक ने कहा कि आपातकाल के समय अंग्रेजों के हुकुमत जैसा माहौल हो गया था अंग्रेज लिखने के लिए कागज नहीं देते थे तो वीर सवांरकर जमीन पर लिखकर लोगों को कंठस्ठ कराकर वाहर भेजते थे आजादी के मान्य लोक मान्य गंगाधर तिलक को अंग्रेजों ने सजा सुनाई और गीता पर भी टिप्पणी लिखी इस अवसर पर मां स्वेता चर्तुवेदी, साहित्यकार अवध विहारी मिश्र, कार्यक्रम की अध्यक्षता रामकुमार अग्रवाल, एवं कार्यक्रम का संचालन शिवओम अंबर ने किया। कार्यक्रम के स्वागता अध्यक्ष सत्यमोहन पांडेय आदि रहे। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष वत्सला अग्रवाल, भाजपा नेत्री मिथलेश अग्रवाल, सुप्रसिद्व चिकित्सक डा. रजनी सरीन, पूर्व विधायक कुलदीप गंगवार, राजन महेश्वरी, संजय गर्ग आदि सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे।

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