बिलासपुर ! जिस तेजी से शहर व आसपास के ग्रामों का विकास हो रहा और उद्योग, धंधों तथा मिलों की स्थापना होत जा रही है। पर्यावरण, जलवायु भी उसी तेजी से दूषित होते जा रहा जिसकी रोकथाम के लिये पर्यावरण विभाग व शासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। अब तक पर्यावरण विभाग द्वारा की गई कार्रवाई महज खानापूर्ति साबित हो रहा है। जिले में दर्जनों उसना राईस मिल संचालित हो रहे हैं जिसमें से अधिकांश में प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। और पर्यावरण विभाग निरीक्षण के नाम पर छिटपुट कार्रवाई के सिवाय कुछ नहीं कर पा रहा है।
गौरतलब है कि जिले में कई कल-कारखाने, उद्योग चल रहे हैं। इनमें से होने वाले जलवायु प्रदूषण के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। उसना राईस मिलों से निकलने वाले दूषित जल मेें इतना स्टार्च होता है कि एक मिल से निकला हुआ दूषित जल पचास हेक्टेयर के फसल को प्रभावित कर सकता है। साथ ही पीने योग्य पानी को भी दूषित कर सकता है। इस तरह कई ऐसे मिल व कारखाने हैं जिससे वातावरण दूषित होते जा रहा है। इस पर तत्काल नियंत्रण पाने की आवश्यकता है।
कुछ रसायन विशेषज्ञों का तो यह भी कहना है कि आने वाले 10 वर्षों में यही हाल रहा तो नवजात शिशुओं के जन्म लेते ही उनको तरह-तरह की बीमारियां घेर सकता है। प्रदूषण की इस समस्या को दूर करने शासन-प्रशासन गंभीर नहीं है।
हालंकि उद्योग, मिलें शुरू करने के पहले पर्यावरण विभाग से अनुमति पत्र प्राप्त किया जाता है और शुरुआती वर्षों में ही प्रदूषण नियंत्रक यंत्र लगाया भी जाता है और उसके बाद केवल खानापूर्ति ही किया जाता है।
चिमनी उंचाई में हो तो भी फैलता है प्रदूषण
जिस तरह कल-कारखानों एवं राईस मिलों से गंदा पानी निकलता है इसके लिये जल शुद्धिकरण यंत्र उद्योगों को लगाना चाहिए एवं चिमनियों से धुआं निकलने के पहले ही फिल्टरों के माध्यम से शुद्धिकरण कर देना चाहिए यह कहना कि चिमनी की ऊंचाई अधिक है। इससे प्रदूषण नहीं फैलेगा एकदम गलत है। ऊंचाई अधिक होने से भी प्रदूषण होता है। इस तरह के प्रदूषण से मानव शरीर को काफी नुकसान पहुंच रहा है और तरह-तरह की बिमारियां फैल रहा है जैसे पाचन तंत्र में खराबी, चर्मरोग, सांस संबंधी बिमारियां ओर कभी-कभी तो कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी लग जाता है।
डॉ.मनोज जायसवाल
एमडी जिला अस्पताल
घट रहा उत्पादन
हमारे गांव में लगभग 8-10 स्पंज आयरन के कारखाने है जिसमें से 3-4 बंद हो चुके हैं लेकिन जिस समय से ये कारखाने शुरु हुुए तभी से हमारी फसल भी उत्पादन क्षमता अपने-आप कम होते जा रहा है। पीने योग्य पानी के स्वाद में भी बदलाव आ गया है। सब्जियों के फल के आकार भी अब पहले जैसे नहीं रहा।
मन्नूलाल यादव व अन्य कृषक
ग्राम सिलपहरी
प्रदूषण संबंधी जानकारी ली जा रही
कुछ दिन पहले ही हमने इस मिल को शुरु किया है। प्रदूषण संबंधी सभी प्रकार की जानकारी पर्यावरण विभाग से ले रहे हंै और जिस प्रकार का प्रदूषण निवारक यंत्र हो उसे मिल में तत्काल लगाया जाएगा।
मनोज अग्रवाल
संचालक
श्री श्यामजी राईस प्रोडक्ट,मोहतराई
शिकायत पर तत्काल कार्रवाई होगी
यदि उद्योगों में प्रदूषण संबंधी किसी प्रकार की कोई भी शिकायत प्राप्त होता है तो तत्काल कार्रवाई किया जाएगा। इसके लिये पर्यावरण विभाग में या सीधे मुझसे भी शिकायत किया जा सकता है।
राजेश मूणत
पर्यावरण एवं परिवहन मंत्री
प्रतिवर्ष कई बार किया जाता है निरीक्षण
जिले में संचालित कल-कारखाने एवं राइस मिलों को प्रतिवर्ष विभाग द्वारा दो-तीन बार निरीक्षण किया जाता है। और प्रदूषण नियंत्रक यंत्रों की जांच की जाती है। यदि सही नहीं पाया जाता है तब जलवायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 33 क के तहत ठोस कार्रवाई की जाती है।
बी.एस.ठाकुर
वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी
पर्यावरण विभाग बिलासपुर
सबसे ज्यादा नुकसान कृषि को
जिले में सबसे अधिक धान फसल लिया जाता है साथ ही किसान सब्जी को भी अच्छी फसल ले लेते हैं। लेकिन कुछ उद्योगों के संचालकों द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण मिलों एवं उद्योगों से निकलने वाले गंदे पानी में स्टार्च अधिक होने के कारण आसपास के फसल को काफी नुकसान पहुंचता है।
यदि एक उद्योग से निकली गई दूषित जल अपने आसपास के पचास हेक्टेयर में लगी फसल को नुकसान पहुंचा सकता है तो आवाज लगाया जा सकता है कि इन बिना प्रदूषण नियंत्रक यंत्रों से संचालित उद्योगों से कितना नुकसान हो रहा है।
दूषित जल को एकत्र करने व्यवस्था नहीं
राईस मिलों एवं अन्य कारखानों उद्योग से निकलने वाले दूषित जल को एकत्र करने की व्यवस्था अधिकांश उद्योगों मेंं नहीं है।
यह दूषित जल आम लोगों के निस्तारी की जगहों पर भी कई जगह फैला हुआ है। जिस मिल संचालक व शासन दोनों ही नहीं देख पा रहे हैं। स्टार्च के कारण इसमें इतना स्मैल होता है कि वह सीधे शरीर के भीतर प्रवेश कर आतंरिक अंगों को नुकसान पहुंचा रहा है।