• ड्राइविंग टेस्ट के बिना ही मिल रही ड्राइविंग लाइसेंस

    नोएडा ! क्या आप कुशल ड्राइवर हैं? यदि नहीं भी हैं तो आपको कम से कम ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए इसकी कोई जरूरत नहीं है। दलालों के माध्यम से आपको यदि बिना ड्राइविंग टेस्ट के ही ड्राइविंग लाइसेंस मिलता तो बात समझ में आती है, लेकिन यदि खुद एआरटीओ ही आपको बिना टेस्ट के ड्राइविंग लाइसेंस दे दे तो यह हैरानी की बात है। ...

    नोएडा !   क्या आप कुशल ड्राइवर हैं? यदि नहीं भी हैं तो आपको कम से कम ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए इसकी कोई जरूरत नहीं है। दलालों के माध्यम से आपको यदि बिना ड्राइविंग टेस्ट के ही ड्राइविंग लाइसेंस मिलता तो बात समझ में आती है, लेकिन यदि खुद एआरटीओ ही आपको बिना टेस्ट के ड्राइविंग लाइसेंस दे दे तो यह हैरानी की बात है। नोएडा सेक्टर-33 में एआरटीओ में पिछले 15 वर्षो से बिना टेस्ट के ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने का सिलसिला जारी है। इसके लिए जो वजह बताई जाती है, वह हास्यास्पद है। विभाग का कहना है कि उनके पास टेस्ट लेनेके लिए जगह नहींहै। बिना टेस्ट के ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना मोटर व्हिकल एक्ट 1988 का सीधा उल्लंघन है। इस एक्ट के सेक्शन-3 और 4 के चेप्टर 2 के मुताबिक जिसे ड्राइविंग लाइसेंस चहिए, उन्हें टेस्ट में जरूर शामिल होना चाहिए। मौखिक और लिखित परीक्षा के अलावा ड्राइविंग टेस्ट भी लिया जाना चाहिए। लेकिन एआरटीओ द्वारा बिना किसी तरह के टेस्ट के ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया जा रहा है।टेस्ट के लिए पर्याप्त जगह नहींएआरटीओ रचना यदुवंशी कहती हैं कि सेक्टर-33 में जो एआरटीओ का आफिस हैं, वहां ड्राइविंग टेस्ट लेने के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। हम जानते हैं कि मोटर व्हिकल एक्ट के तहत ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ड्राइविंग टेस्ट जरूरी है। इसके बगैर लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता है। इसका फायदा अकुशल ड्राइवरों को मिल रहा है,जिसकी वजह से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती हैं।दफ्तरों में टेस्ट के लिए जगह नहींसेक्टर-32 स्थित रेलवे रिजर्वेशन सेंटर से सटते ही सेक्टर-33 में एआरटीओ का आफिस है। यदुवंशी ने बताया कि यहां पहले से ही बहुत सारे आफिस हैं। यहां बिल्कुल खाली जगह नहीं है। दफ्तर के ठीक सामने ही पार्किंग लॉट है, इसकी वजह से आफिस वाली जगह काफी संकरी हो जाती है। ऐसी संकरी जगह पर ड्राइविंग टेस्ट कैसे लिया जा सकता है?बता दें कि गाइडलाइन के मुताबिक ट्रांसपोर्ट का आफिस कम से कम 4 एकड़ की भूखंड पर बना होना चाहिए। इनमें से एक एकड़ के भूखंड पर आफिस ,एक एकड़ में पार्किंग लॉट और बचे हुए दो एकड़ जमीन का इस्तेमाल ट्रायल जोन बनाने के लिए होना चाहिए, जहां ड्राइविंग टेस्ट आराम से लिया जा सके। ट्रांसपोर्ट ऑफिस के लिए चार एकड़ का भूखंड तो अनिवार्य है, लेकिन इसका साइज शहर में मौजूद कुल वाहनों पर भी निर्भर करता है।ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट लाइसेंस पाने वाले का सारे दस्तावेजों को लेकर काफी गंभीर होता है, लेकिन ड्राइविंग टेस्ट के बारे में कभी गंभीरता से विचार ही नहीं करता है। अधिकारियों के मुताबिक एआरटीओ से हर रोज लगभग 100 लर्निंग लाइसेंस और 80-120 स्थाई लाइसेंस जारी करता है। यदुवंशी ने बताया कि हालांकि इस समस्या को लेकर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट काफी गंभीर है। इसके लिए ग्रेटर नोएडा में 10 हजार वर्ग मीटर का एक भूखंड देखा भी गया था, लेकिन फंड की कमी के चलते बात नहीं बन पाई। लेकिन अभी सेक्टर-61 में ट्रांसपोर्ट नगर बन रहा है,वहां एआरटीओ आफिस शिफ्ट करने के लिए प्राधिकरण से निवेदन किया गया है। एसपी ट्रैफिक आरएन मिश्रा कहते हैं कि ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की इस अनदेखी के चलते सड़कों पर चल रहे अकुशल ड्राइवर हजारों लोगों की जिंदगी को दांव पर लगा रहे हैं। मौजूदा समय में शहर में लगभग 4 लाख वाहन चल रहे हैं। बिना टेस्ट के ही ड्राइविंग लाइसेंस जारी करना खतरनाक साबित हो सकता है। हाल  के दिनों में जो सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि देखी गई है, उसके लिए एआरटीओ के अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। हर महीने ट्रैफिक नियमों की अनदेखी की 5000 से ज्यादा मामले सामने आते हैं।

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