नोएडा ! शहर में रहने वाले लोग सांस की परेशानी से लगातार जूझ रहे हैं। ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। दिल्ली से नोएडा आने वाले अनगिनत वाहन नोएडा की हवा को दूषित कर रहे हैं। लोगों को सांस लेने में परेशनी होने लगी है। विशेषज्ञों के मुताबिक यदि समय रहते चेता नहीं गया तो प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता है,जिससे सांस लेना भी दूभर हो जाएगा। प्रदूषण का स्तर सुबह में ज्यादा बढ़ जाता है, इससे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। पर्यावरण व प्रदूषण विभाग की ओर से इस पर कोई जल्द ही संयुक्त रुप से कदम उठाए जाने की जरुरत है। शहर में चल रही कंस्ट्रक्शन साइटों से लगातार धूल से गुबार उठ रहे है। शहर के बीचों-बीच बन रहे सिटी सेंटर प्रोजेक्ट के कारण ही आस पास के सेक्टरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। धूल के कारण लोग दिन में घर के खिड़की और दरवाजे तक नहींखोल पा रहे हैं। दिल्ली से भी ज्यादा नोएडा प्रदूषितनोएडा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक नोएडा की हवा की गुणवत्ता दिल्ली से भी बदतर रहा है। हैरानी इस बात की है कि पिछले साल की तुलना में नोएडा के हवा की गुणवत्ता में 26 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। सिस्टम ऑफ एयर क्वाइलिटी वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च (एसएएफएआर)ने हर दिन के हिसाब से हवा की गुणवत्ता को पीएम 2.5(बेहतर और सांस लेने के योग्य कण) को आदर्श मानक मानकर मापा है। इस पैमाने पर नोएडा के हवा की गुणवत्ता परीक्षण में खड़ा नहीं उतरा है। हवा में मौजूद रासायनिक अवयवों और कणों के आधार पर हवा की गणवत्ता को अच्छा, ठीक -ठाक,खराब,बहुत खराब एवं खतरे के निशान पर जैसे मानक तय किए गए। पीएम 2.5 के मानक पैमाने के आधार पर रासायनिक अवयव एवं अन्य कणों की मात्रा 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर को सुरक्षित माना गया है,लेकिन नोएडा में यह मात्रा 90-210 क्यूबिक मीटर है।दिल के मरीज, दमा और एलर्जी से पीडि़त मरीजों पर खराब असरसेंटर फॉर इनवाइरमेंट ऑक्यूपेशनल एंड हेल्थ (सीईओएच) के निदेशक डॉ टीके जोशी कहते हैं कि हवा की ऐसी खराब गुणवत्ता का सबसे ज्यादा असर दिल की बीमारी,दमा एवं एलर्जी से पीडि़त मरीजों पर पड़ता है। दिल के मरीज तो खराब हवा के चलते अचानक से चलते हुए बेहोश होकर गिर भी सकते हैं। ऐसे में मरीज राहत पाने के लिए दवाइयों का सहारा लेते हैं,जिसके दुष्प्रभाव उनके लिए कोई और परेशानी खड़ा कर सकता है। हाल ही में जोशी ने स्कूलों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है,जिसमें उन्होंने स्कूलों को नियमित रूप से हवा की गुणवत्ता पीएम 10 (सबसे खराब ) और पीएम 2.5(सामान्य) की जांच करनी चाहिए। यदि हवा की गुणवत्ता बहुत खराब है तो बच्चे की शारीरिक गतिविधियों को कम करवाना चाहिए।दिल्ली से हर रोज पांच लाख वाहनों की आवाजाहीएसपी ट्रैफिक आरएन मिश्रा ने बताया कि दिल्ली में हर रोज सात विभिन्न स्थानों से नोएडा में पांच लाख वाहनों की आवाजाही होती है। अकेले डीएनडी से ही 1 लाख 20 हजार गाडिय़ां नोएडा में प्रवेश करती है। इनमें से 90 फीसदी गाडिय़ां हल्के वाहन के रुप में होती है जबकि 10 फीसदी गाडिय़ां भारी वाहन के रुप में। हल्के वाहनों में से कम से कम 10 फीसदी वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण किट नहीं होते हैं।