जांजगीर ! भूतपूर्व सैनिक को शासन द्वारा कृषि कार्य हेतु भूमि आबंटन का मामला पिछले 6 वर्षो से झूल रहा है इस बीच प्रार्थी लगातार तहसील कार्यालय से लेकर राजधानी रायपुर तक दफ्तरों का चक्कर काट चुका है मगर अब तक स्थिति जस की तस बनी हुई है। उनकी माने तो ऐसी लड़ाई तो फौज में रहते हुए कभी नहीं देखा जो अपनी ही सरकार के साथ लडऩी पड़ रही है। जैजैपुर तहसील अंतर्गत ग्राम घिवरा के निवासी सुखेन्द्र तिवारी द्वारा 28 अगस्त 2009 को कलेक्टर जांजगीर-चाम्पा में आवेदन लगाया था कि गांव के खसरा नम्बर 28/1 कुल रकबा 27.05 एकड़ भूमि में से 5 एकड़ भूमि का आबंटन भूतपूर्व सैनिक को राज्य सरकार द्वारा दी जाने वाली कृषि कार्य हेतु आबंटन की जाय। इस पर कलेक्टर ने प्रकरण दर्ज कर आवश्यक कार्यवाही के लिये अनुविभागीय अधिकारी सक्ती को लिखा था जिसके तहत 31 दिसम्बर 2009 को अतिरिक्त तहसीलदार हसौद एवं 11 मार्च 2010 को सक्ती एसडीएम द्वारा प्रकरण का अवलोकन कर अनुशंसा सहित कलेक्टर कार्यालय जांजगीर को प्रेषित किया। इस फाइल में कमी बताते हुए तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर द्वारा 10 बिन्दु की जानकारी के लिए तहसीलदार हसौद को वापस भेजा गया था और 30 अगस्त 2010 को 10 बिन्दुओं की जानकारी व समस्त कमियों पूरा करते हुए अनुशंसा सहित पुन: कलेक्टर कार्यालय को भेज दिया गया। मगर न जाने कौन सी कमी फाइल में रह गयी कि 6 वर्षो तक प्रार्थी सुखेन्द्र दफ्तरों का चक्कर काट रहा है मगर कृषि भूमि अब भी उसके पहुंच से दूर है। श्री तिवारी बताते है कि इस दौरान उनकी ओर से जनसमस्या निवारण शिविरों में भी अवलोकन दिया गया तभी अधिकारियों द्वारा उक्त भूमि को छोटे झाड़ का जंगल बता फाइल लौटाई गयी थी जिस पर एसडीएम सक्ती 18 सितम्बर 2014 को विधिवत सर्वेक्षण उपरांत आवश्यक संशोधन कर प्रकरण पुन: कलेक्टर को प्रेषित किया था। बार-बार आ रहे अवरोध का निवारण करते-करते प्रार्थी अपनी जमा पंूजी भी फूंक डाला ताकि उसके हिस्सा जमीन आने पर वह कृषि करके अपनी व अपने परिवार की माली हालत बदल होगा मगर इतने लंबे अंतराल के बावजूद हक नहीं मिल पाने से अब परिवार के सामने कई चुनौतियां आ खड़ हुई है जिससे प्रार्थी बुरी तरह आहत है। उसके एक बार फिर सरकार दफ्तरों का चक्कर लगाना शुरू किया है जो कुछ ही दिन पूर्व मुख्यमंत्री जनदर्शन में अपनी पीड़ा बतायी जहा से मिले पत्र के आधार पर कलेक्टर व तहसील कार्यालय का चक्कर लगा पसीना बहा रहा है जिसे अभी यह नहीं मालूम कि मंजिल कितनी दूर है।