• सरकारी व निजी अस्पतालों में बढ़ी मरीजों की संख्या

    नोएडा ! शहर में एकदम से हुए मौसम में बदलाव का असर घर-घर में दिखाई दे रहा है। जिसके कारण घर-घर में बुखार, सर्दी, जुकाम, खांसी, सिरदर्द, हाथ पैर दर्द के रोगी दिखाई दे रहे है जिससें ग्रामीणों में चिंता व्याप्त है सरकारी अस्पताल निजी क्लीनिकों में रोगियों की संख्या दिनो दिन बढ़ती जा रही है। शहर में फैल रहे स्वाइन फ्लू के डर से हल्की सी सर्दी जुकाम होने पर भी कई मरीज अस्पताल पहुंच रहें है।...

    नोएडा !   शहर में एकदम से हुए मौसम में बदलाव का असर घर-घर में दिखाई दे रहा है। जिसके कारण घर-घर में बुखार, सर्दी, जुकाम, खांसी, सिरदर्द, हाथ पैर दर्द के रोगी दिखाई दे रहे है जिससें ग्रामीणों में चिंता व्याप्त है सरकारी अस्पताल निजी क्लीनिकों में रोगियों की संख्या दिनो दिन बढ़ती जा रही है। शहर में फैल रहे स्वाइन फ्लू के डर से हल्की सी सर्दी जुकाम होने पर भी कई मरीज अस्पताल पहुंच रहें है। हालांकि अस्पतालों व मेडिकल स्टोरों में तैनात लोग मास्क पहने नहीं दिखाई दे रहे हैं लेकिन अस्पताल व दवाई लेने आए लोगों को मास्क पहने की सलाह दी जा रही है। चिकित्सक भी लोगों को सतर्कता बरतने के लिए प्रेरित कर रहे है। निजी व सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों की माने तो पिछले एक सप्ताह से मौसमी बिमारियों से पीडि़त मरीजों की संख्या में एकाएक इजाफा हो गया है। जिसके चलते एक ही शिफ्ट में 100 मरीज प्रतिदिन अपना इलाज करवाने आ रहे हैं। जिनमें अधिक मरीज सर्दी, जुकाम, खांसी से पीडि़त है तो कुछ मरीज बुखार से पीडि़त रहे है जिससे चिकित्सकों के पास मरीजों की तादात बढ़ गई है जिससें काफ ी समय के बाद मरीज के चेकअप का नम्बर आता है मौसम के बदले मिजाज के चलते अस्पतालों मरीजों की संख्या बढ़ गई है। सरकारी अस्पताल के चिकित्सकों की मानें तो मौसम के बदलने से बीमार होने वाले मरीजों की आउटडोर ओपीडी में संख्या 25 प्रतिशत है। इसके साथ ही एक बार फिर वायरल के मरीजों की संख्या में बढऩे लगी है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ रश्मि गुप्ता ने बताया कि बदलते मौसम में बच्चों का अधिक ख्याल रखना चाहिए। इस मौसम में सर्दी, जुकाम और खांसी के साथ बच्चों को निमोनिया होने की संभावना अधिक रहती है। ओपीडी में भी सर्दी, जुकाम, खांसी, अस्थमा और निमोनिया के बच्चों की संख्या बढ़ी है।  एक और जहां आॢथक रूप से कमजोर वर्ग के लोग मजबूरी में स्थानीय सामान्य अस्पताल में जा रहे हैं वहीं बड़ी संख्या में लोग निजी अस्पतालों का महंगा खर्चा उठाने को विवश हैं।नेब्युलाइजर से घबराएं नहींचिकित्सकों का कहना है कि अभिभावक बच्चों को नेब्युलाइजर देने से घबराते हैंए जबकि यह सुरक्षित उपाय है। नेब्युलाइजर से निचले रेस्पिरेट्री हिस्सों में होने वाली समस्याओं से निजात मिल जाती है। बच्चे को अस्थमा और वायरल होने पर चिकित्सक की सलाह पर ही नेब्युलाइजर का उपयोग करना चाहिए। बच्चों को मौसमी बीमारी से बचाने के लिए सर्दी की शुरूआत में ही बच्चों को अदरक और तुलसी का सेवन कराना चाहिए। बच्चे को बुखार आने पर तत्काल चिकित्सक से सम्पर्क करना चाहिए।

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