• महंगाई कम कर रही है मकर संक्रांति की मिठास

    नोएडा ! मकर संक्रांति की शहरवासियों ने खासा तैयारी कर ली है लेकिन मौसम को देखते हुए लोगों को इस तैयारी का मजा किरकिरा होने का अहसास हो रहा है। खराब मौसम व महंगाई के बीच पर्व मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजार में लाई, चूडा़, दालपट्टी आदि की दुकानें जहां सज गई हैं वहीं लोग खरीदारी भी करते देखे जा रहे हैं।...

    मकर संक्रांति पर विशेषमौसम की भी पड़ रही मार खिचड़ी पहुंचाने का सिलसिला शुरू देश में अलग-अलग रूप से मनाई जाती है मकर संक्रांतिनोएडा !  मकर संक्रांति की शहरवासियों ने खासा तैयारी कर ली है लेकिन मौसम को देखते हुए लोगों को इस तैयारी का मजा किरकिरा होने का अहसास हो रहा है। खराब मौसम व महंगाई के बीच पर्व मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बाजार में लाई, चूडा़, दालपट्टी आदि की दुकानें जहां सज गई हैं वहीं लोग खरीदारी भी करते देखे जा रहे हैं। हालांकि बिगड़ा मौसम पर्व का मजा किरकिरा कर रहा है। खिचड़ी का पर्व कहे जाने वाले मकर संक्राति के दिन लोग खास इंतजाम करते हैं। पुराने समय से लोग मानते चले आ रहे हैं कि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के दिन को मकर सक्रांति पर्व के नाम से मनाया जाता है। वैसे तो हर राशि में सूर्य के प्रवेश पर संक्रांति आती है। लेकिन मकर संक्रांति के प्रति मान्यता है कि इस दिन देवताओं के दिन का प्रारंभ होता है। इसलिए इसका विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार खिचड़ी के दिन सुबह लोग स्नान के बाद तिल व चावल (अक्षत) ब्राह्मण को दान करते हैं। कहा जाता है कि तिल के दान से कई तीर्थों के भ्रमण के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। इस दौरान लगभग सभी हिंदू घरों में खिचड़ी बनाई जाती है, जबकि विशेष रूप से लोग लाई, गट्टा, तिलपट्टी आदि खाकर पर्व मनाते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और गीता के अनुसार जो व्यक्ति उत्तरायण में शरीर का त्याग करता है, वह श्री कृष्ण के परम धाम में निवास करता है। इस दिन लोग मंदिर और अपने घर पर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं। पुराणों में इस दिन प्रयाग और गंगासागर में स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है, जिस कारण इस तिथि में स्नान एवं दान का करना बड़ा पुण्यदायी माना गया है। उधर, पर्व की आमद के मद्देनजर बहन-बेटियों के यहां खिचड़ी पहुंचाने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। इसका नजारा बस और अन्य चार पहिया वाहनों आते जाते लोगों को देखा जा सकता है।दुकानें सजी, महंगाई का बोलबालामकर संक्रांति के अवसर पर पहले से ही दुकानें सजी देखी जा रही हैं लेकिन जैसे जैसे पर्व पास आता जा रहा है ग्राहकों की भीड़ बढ़ती जा रही है। हालांकि मौसम व महंगाई के चलते पर्व को लेकर अधिक उत्साह नहीं देखा जा रहा है। बावजूद इसके जैसे-तैसे लोग खरीदारी कर रहे हैं। बाजार में लाई 30 से 35 रुपए किलो तो चूड़ा 28 से 35, गट्टा 50 से 55, तिलपट्टी 100 से 120, मूंगफ ली पट्टी 80 से 100 रुपए किलो बिक रही है। दुकानदारों के अनुसार सामान के दामों में बीते वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 10 से 15 फ ीसद बढ़ोतरी हुई है।भगवान सूर्य की करते हैं लोग पूजामकर संक्रांति के रूप कई हैं। उत्तर भारत में इसे मकर संक्रांति, पंजाब हरियाणा में लोहड़ी, असम में बिहू और दक्षिण भारत में पोंगल के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग खिचड़ी बनाकर भगवान सूर्यदेव को भोग लगाते हैं। जिस कारण यह पर्व को खिचड़ी के नाम से भी प्रसिद्ध है। इस दिन सुबह सुबह पवित्र नदी में स्नान कर तिल और गुड़ से बनी वस्तु को खाने की परंपरा है। इस पवित्र पर्व के अवसर पर पतंग उड़ाने का अलग ही महत्व है। बच्चे पतंगबाजी करके खुशी और उल्लास के साथ इस त्यौहार का भरपूर लुत्फ उठाते हैं।

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