• सत्यापन को लेकर पुलिस व मकान मालिक सक्रिय नहीं

    नोएडा ! शहर में एक ओर पुलिस ने सुरक्षा को लेकर तमाम अभियान चलाए हैं लेकिन इन अभियानों के बीच सत्यापन का अभियान ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस की लचर कार्यशैली और मकान मालिकों का नजरअंदाज करने के चले सत्यापन अभियान कागजों में ही निपटाया जा रहा है। यह कैसा सत्यापन अभियान चलाती है पुलिस की एक भी आदमी पकड़ में नहीं आता, कोई बदमाश या चोर बेनकाब नहंी होते। ...

    नोएडा !   शहर में एक ओर पुलिस ने सुरक्षा को लेकर तमाम अभियान चलाए हैं लेकिन इन अभियानों के बीच सत्यापन का अभियान ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है। लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस की लचर कार्यशैली और मकान मालिकों का नजरअंदाज करने के चले सत्यापन अभियान कागजों में ही निपटाया जा रहा है। यह कैसा सत्यापन अभियान चलाती है पुलिस की एक भी आदमी पकड़ में नहीं आता, कोई बदमाश या चोर बेनकाब नहंी होते। और जब अपराध होते हैं तो पता लगता है कि आरोपी तो वर्षों से क्षेत्र में रह रहे थे। पुलिस के यह दावे आए दिन धूल में मिलते नजर आते हैं। तमाम थाना क्षेत्रंो में बाहरी लोगों की मौजूदगी पुलिस के काम करने के तरीकों की असली तस्वीर सामने ला रही है। ताबड़तोड़ चोरियों के बीच छुटपुट घटनाओं का खुलासा कर नोएडा पुलिस अपनी पीठ थपथपाने का भी कोई मौका नहीं गंवा रही है। ऐसे ही पिछले दिनों हुए खुलासे में नोएडा में चोरियों की घटनाओं में लिप्त चोरों से यह बात सामने आ चुकी है कि यह लोग बिना किसी सत्यापन के ही दून में अपना डेरा डाले हुए हैं। सत्यापन के खोखले दावों के बीच पुलिस द्वारा किए जाने वाले खुलासों में अपनी ही लापरवाही और धींगामुश्ती की पोल खुल रही है। साथ ही पुलिस की काम करने की लचर कार्यशैली का भी खुलासा हो रहा है। बाहरी लोगों द्वारा नगर में ताबड़तोड़ अपराध किए जाने के बावजूद भी सत्यापन का काम किस स्तर पर किया जा रहा है इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं। एक नहंी बल्कि कई बार पुलिस के सत्यापन की पोल खुली है जिसमें मकान मालिकों ने अपने यहां रहने वाले किराएदारों का सत्यापन नहीं कराया था। ऐसे कई मजदूर दून के विभिन्न क्षेत्रों में किराए के मकानों में रह रहे हैं जिनका कभी सत्यापन होता ही नहीं है। बाहरी राज्यों से आने वाले यह लोग मजदूरी का काम करते हैं। लेकिन इसी दौरान बड़े पैमाने पर आपराधिक वारदातों को भी अंजाम देते हैं। वारदात को अंजाम देने के बाद पुन: अपने काम पर लौट आते हैं और किसी को इनके कामों की भनक भी नहीं लगती। पुलिस के लिए सबसे बड़ी दिक्कत सत्यापन के काम में यह भी आती है कि खुद मकान मालिक इन लोगों की सत्यापन कराने में दिलचस्पी नहीं दिखाते। कोई आरोप सामने आने के बाद महज पुलिस एक्ट के तहत कार्रवाई होकर सीमित रह जाती है। बहरहाल पुलिस अधिकारियों का कहना है कि सत्यापन के काम में सख्ती लाई जाएगी लेकिन अभी भी ऐसे हजारों लोग नोएडा में बिना सत्यापन के रह रहे हैं जो शहर में अपराध घोलने का काम कर रहे हैं।सेक्टरों में रह रहे लोगों का सत्यापन नहींशहर के सेक्टरों में रह रहे कई ऐसे किराएदार हैं जिनका सत्यापन नहीं हुआ है। हैरानी का बात ये है कि बढ़ते अपराधों को देखते हुए भी इनपर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। सेक्टर 11,12,20,22 ऐसे सेक्टर हैं जहां अधिकतर किराएदार रहते हैं। मकानमालिक अपने मकानों को किराए पर लगाकर दूसरी जगह रह रहे हैं। ऐसे में मकानमालिक न तो किराएदारों की कार्यशौली के बारे में जानने की कोशिश करता है न ही किराएदारों का सत्यापन करवाता है।

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