• निकाय चुनावों में हार से भाजपा की सत्ता में रहने का सपना टूटा

    रायपुर ! प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने हाल मेंं ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं से प्रदेश में 40 वर्षों तक सत्ता में बने रहने कार्ययोजना बनाने आह्वान किया, लेकिन कल नगर निगम, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत के परिणाम आने के साथ भाजपा की मुहिम को करारा झटका लगा है। ...

    40 वर्षों तक सत्ता में रहने का सपना टूटा!    पंचायत चुनाव के बाद हो सकता है संगठन में फेरबदलरायपुर !   प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने हाल मेंं ही त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा कार्यकर्ताओं से प्रदेश में 40 वर्षों तक सत्ता में बने रहने कार्ययोजना बनाने आह्वान किया, लेकिन कल नगर निगम, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायत के परिणाम आने के साथ भाजपा की मुहिम को करारा झटका लगा है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने हालिया प्रदेश दौरे में हार बर्दाश्त नहीं करने की बात कही थी, जिसके बाद अब यह तय माना जा रहा है कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बाद भाजपा की प्रदेश इकाई एवं संगठन में बड़े फेरबदल होंगे। इसकी गाज प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सहित कुछ अन्य पदाधिकारियों एवं मंत्रियों पर भी गिर सकती है।नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा को वर्ष 2009 की तुलना में कांग्रेस से करारी शिकस्त मिली है, 10 में 4 निगम पर ही भाजपा के महापौर जीत हासिल कर पाए हैं, जबकि गत चुनाव में 9 निगमों में से 6 में भाजपा काबिज थी। कांग्रेस के 4 निगम में जीत मिली, वहीं दो पर निर्दलीय महापौर जीतकर आए हैं, जो प्रदेश के बदलते राजनीतिक समीकरण की ओर स्पष्ट इशारा कर रहे हैं। नगर पालिका परिषद में भी भाजपा की स्थिति अच्छी नहीं रही, कांग्रेस ने प्रदेश की 39 पालिकाओं में से 16 में कब्जा कर चुनाव में भाजपा को करारी टक्कर दी है। भाजपा को भी 16 पालिकाओं में जीत मिली, वहीं  निर्दलीय काबिज हुए। नगर पंचायत में तो हालत काफी बुरे हैं, कांग्रेस ने 105 नगर पंचायतों में से 50 में कब्जा जमाया। वहीं भाजपा को केवल 37 एवं निर्दलियों को 17 पंचायतों में जीत हासिल हुई।निकाय चुनावों में भाजपा की करारी हार भाजपा के शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में घटते जनाधार को दर्शा रहे हैं। प्रदेश की जनता ने इस बार भाजपा के प्रतिनिधियों को नकार दिया है, जिसका कारण संभवत: नसबंदी कांड, आंख फोड़वा कांड, नक्सली मामलों में सरकार की विफलता एवं धान खरीदी की सीमा में कटौती आदि को माना जा रहा है। प्रदेश सरकार विगत वर्ष भर से कई मामलों में लोगों सहित विपक्षी राजनीतिक दलों के आक्रोश का शिकार हुई है। वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरमलाल कौशिक अपनी पहली अग्नि परीक्षा में ही कमजोर साबिज हुए हैं, जिसका खामियाजा संगठन में बड़ा फेरबदल किए जाने के आसार हैं। धरमलाल कौशिक ने स्वीकार भी किया है कि वरिष्ठ नेताओं के बीच समन्वय की कमी के कारण कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। इस तरह उन्होंने पराजय के लिए वरिष्ठ नेताओं को भी अपने साथ लपेट लिया है।

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